Opposition & BJP: महाकुंभ के जाल में फंसा विपक्ष, राहुल ने करीब जाकर भी नहीं लगाई डुबकी

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Opposition & BJP: महाकुंभ के जाल में फंसा विपक्ष, राहुल ने करीब जाकर भी नहीं लगाई डुबकी

Opposition Stuck In BJP Track, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष एक बार फिर खुद से ही बीजेपी के ट्रैक में फंस ही गया है। मुद्दा बना महाकुंभ। कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी तो प्रयागराज के करीब होने के बाद भी महाकुंभ में डुबकी लगाए बिना दिल्ली वापस लौट आए। राहुल 20 और 21 फरवरी को अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दौरे पर थे। वहां से प्रयागराज की दूरी महज एक घंटे की थी। समझा जा रहा था कि वह डुबकी लगाने जाएंगे, लेकिन नहीं गए।बहन प्रियंका ने भी महाकुंभ से दूरी बनाई हुई है।

26 फरवरी को है कुंभ का अंतिम स्नान

कुंभ का अंतिम स्नान 26 फरवरी को है, जो संकेत हैं कि गांधी परिवार स्नान के लिए नहीं जाएगा। पिछले साल अयोध्या के राम मंदिर में राम की मूर्ति स्थापना दिवस समारोह से भी गांधी परिवार समेत पूरी कांग्रेस ने दूरी बनाई थी। जो बाद में मुद्दा भी बना था। महाकुंभ को लेकर भी कुछ ऐसा ही होने वाला है। महाकुंभ पर सवाल उठा शुरूआत भी कांग्रेस ने ही की थी। हालांकि बाद में राजद के मुखिया लालू यादव, टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी,और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने राज्यों की राजनीति के हिसाब से उसे अंजाम तक पहुंचा बीजेपी को मुद्दा दे दिया।

मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में फंस रहा विपक्ष

विपक्ष ने महाकुंभ पर सवाल उठा जहां मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति पर बीजेपी को हमले का बड़ा मौका दिया, वहीं मुस्लिम छवि का टैग और मजबूत कर लिया। मतलब विपक्ष ने मुस्लिम वोटरों को खुश करने के चलते महाकुंभ पर सवाल उठाए और गांधी परिवार इसी के चलते नहाने नहीं गया। ऐसा माहौल निश्चित तौर पर बीजेपी बनाएगी। यह सब तब हो रहा है जब देश में आज के दिन भी हिंदुत्व की लहर चल रही है। विपक्ष इसके उल्ट मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में फंस रहा है।

अपने ढर्रे से बाहर ही नहीं निकलना चाहता विपक्ष

विपक्ष ने हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनाव का अध्ययन किया होता तो सब समझ जाना चाहिए था। लेकिन विपक्ष अपने घिसे पिटे ढर्रे से बाहर ही नहीं निकलना चाहता है।
कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी की पिछड़ों की राजनीति को खत्म करने के लिए बीजेपी ने हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनाव में हिंदुत्व के मुद्दे को जमकर धार दी।उसी का परिणाम रहा कि विपक्ष तीनों मजबूत दिखने वाले राज्यों में धराशाही हो गया। बीजेपी ने शानदार जीत हासिल कर अपना आगे का एजेंडा सेट कर दिया।

3-3 राज्यों की हार के बाद भी मूड नहीं भांप पाया विपक्ष

तीन तीन राज्यों की हार के बाद भी विपक्ष देश के मूड को भांप ही नहीं पाया। बीजेपी जो चाहती है वही विपक्ष करने में जुटा है। उदाहरण के लिए करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़े महाकुंभ को लेकर विपक्ष बीजेपी पर हमलावर बना हुआ है। कुछ ऐसे एंकर और ट्यूबर हैं जिन्हें सरकार के हर काम में कमी ही कमी निकालनी है। विपक्ष को लगता है कि ये ही असल पत्रकार हैं और उत्साहित हो असल मुद्दों को छोड़ ध्रुवीकरण में जुट जाते हैं। कभी पानी को प्रदूषित बता तो कभी यह कहकर कि 144 साल बाद वाली बात कहां से आई। विपक्ष यही नहीं भांप पाया कि महाकुंभ ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ और बीजेपी को पूरे देश में लोकप्रिय कर दिया है।जिसका लाभ बीजेपी को मिलेगा ही मिलेगा।

सनातन धर्म के प्रतीक बन गए हैं मोदी-योगी

मोदी और योगी सनातन धर्म के प्रतीक बन गए हैं। भारत के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है और आगे होगा भी सनातन को ताकत देने के लिए जनता मोदी और योगी के फेस को देख वोट कर रही है और आगे भी करेगी।नई पीढ़ी में तो सनातन धर्म के प्रति रुझान बढ़ा है। प्रयागराज में एक माह से चल रहे महाकुंभ के अंतिम दौर में पहुंचते पहुंचते विपक्ष जितने सवाल उठा रहा है उतना ही बीजेपी का एजेंडा मजबूत होता जा रहा है। कुंभ की शुरूआत में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कुंभ के नहाने पर सवाल उठाए। गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस से न तो खुद खरगे और ना ही गांधी परिवार ने कुंभ जा कर स्नान किया। पांचवे सबसे ताकतवर नेता के सी वेणुगोपाल ने भी दूरी बनाई।

कांग्रेस के दूसरे तमाम नेता कुंभ नहाने गए

हालांकि कांग्रेस के दूसरे तमाम नेता कुंभ नहाने गए लेकिन जिनके डुबकी लगाने से संदेश जाता कोई नहीं गया। कांग्रेस के इन दिग्गज नेताओं को भले ही अभी लग रहा होगा कि नहाना कोई मुद्दा नहीं है। लेकिन बीजेपी जब कुंभ को बड़ी उपलब्धि बना हिंदुत्व के मुद्दे को धार देगी तो फिर गांधी परिवार निशाने पर आएगा ही आएगा, क्योंकि चुनाव के समय कांग्रेसी गांधी परिवार को हिंदू साबित करने के लिए राहुल और प्रियंका गांधी को मंदिरों के दर्शन करा बताते हैं कि उनके नेताओं की हिन्दू धर्म में कितनी आस्था है। जो कि दिखावा नजर आता है।

इंदिरा गांधी के बाद कांग्रेस के नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार पर हिंदुओं के त्योहारों और आयोजनों से हमेशा दूरी बनाए रखने का विपक्ष आरोप लगाता रहा है। कुंभ से दूरी ने भी बीजेपी को हमले का मौका दे दिया। कांग्रेस यह नहीं समझ पा रही है कि वह राष्ट्रीय पार्टी है। बहुसंख्यकों को नाराज कर वह राजनीति नहीं कर सकती है।

अखिलेश कुंभ नहाने के बाद कर रहे विरोध की राजनीति

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव खुद कुंभ नहाने के बाद विरोध की राजनीति करने लगे। अव्यवस्था और प्रदूषित होते पानी को मुद्दा बना वह उत्तर प्रदेश में एक वर्ग को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि अखिलेश की राजनीति यूपी तक ही समिति है और दो साल बाद होने वाले चुनाव में उन्हें मुस्लिम वोटरों को एक रखना है।

कांग्रेस को पूरे देश की राजनीति के बारे में सोचने की जरूरत

टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी ने कुंभ को लेकर इसलिए सवाल उठाए ताकि उनके राज्य में मुस्लिम वोटर उनके साथ बना रहे। इसी तरह राजद के सर्वोच्च नेता लालू यादव का बयान भी मुस्लिम राजनीति से संबंध था।लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकार यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सहयोगी दल राज्यों की खातिर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस को तो पूरे देश की राजनीति के साथ उन राज्यों के बारे में भी सोचना चाहिए जहां पर उसका सीधे बीजेपी से मुकाबला होता है।

कांग्रेस के लिए हिन्दी भाषी राज्यों में मुश्किल हो जाएगी वापसी

कांग्रेस अगर जातपात ओर तुष्टिकरण की राजनीति से बाहर नहीं निकली तो हिन्दी भाषी राज्यों में उसके लिए वापसी मुश्किल हो जाएगी।राज्यों में हार के चलते ही कांग्रेस हाशिए पर पहुंच गई।राहुल गांधी अभी जो राजनीति कर रहे हैं उससे बीजेपी को कोई चुनौती नहीं मिलने वाली।पिछड़ों की राजनीति के खातिर वह रायबरेली दौरे पर बसपा को साथ आने का जो ज्ञान दे कर आए थे उल्टा पड़ गया।

मायावती ने उसका करारा जवाब दे उल्टा कांग्रेस को बीजेपी की बी टीम बता दिया। राहुल राज्यों की राजनीति को बहुत ही हल्के में ले रहे हैं।जातपात की राजनीति के बजाए संगठन पर फोकस करते तो पार्टी ताकतवर दिखती।लेकिन कांग्रेस में संगठन को मजबूत करने की केवल बातें हो रही है जमीन पर कुछ नहीं हो रहा है।ऊपर से कांग्रेस बीजेपी को ध्रुवीकरण की राजनीति को मजबूत करने का मौका दे रही है।

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