शिक्षा विभाग के महज 14% कर्मचारियों को ही लगी कोरोना की दोनों डोज

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-वैक्सीन नहीं लगवाने वाले स्टाफ का डाटा मांगा
-सरकारी कर्मचारी वैक्सीन लगवाने से हिचक रहे
-शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर कहा कि सभी कर्मचारियों को वैक्सीन लगवाना सुनिश्चित किया जाए
डॉ. रविंद्र मलिक
चंडीगढ़। कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ चुकी है, लेकिन साथ में एक्सपर्ट्स निरंतर तीसरी लहर को लेकर संभावना जता रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग और सरकार निरंतर लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि वो वैक्सीन जरूर लगवाएं, ताकि कोरोना को हराने में मदद मिल सके। लेकिन फिर भी लोग लापरवाही बरतते हुए वैक्सीन लगवाने में हिचक रहे हैं। आमजन को छोड़िए, खुद सरकारी कर्मचारी तक वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। इसका खुलासा हुआ शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक पत्र के जरिए। अब तक 14 फीसदी विभागीय कर्मचारियों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई जो कि चिंतनीय है। ऐसे में अब सवाल ये है कि जब सरकारी कर्मचारी जानलेवा कोरोना को लेकर इस तरह की कैजुअल अप्रोच से पेश आएंगे तो काम कैसे चलेगा।
महज 14790 को ही दोनों डोज लगी अब तक
कोरोना को दस्तक दिए और दवाई आए हुए लंबा समय बीत चुकी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के लगातार सबको अपील के बाद विभागीय कर्मचारियों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। विभाग के 103886 कर्मचारियों में से केवल 14790 ने भी अब तक वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई हैं। ये कुल कर्मचारियों का करीब 14 फीसदी ही बैठता है। ऐसे में समझना आसान है कि कर्मचारी दवाई लगवाने को लेकर कितने गंभीर हैं।
महज 26763 कर्मचारियों को पहली डोज लगी
वैक्सीन के दो टीके लगने हैं। प्रदेशभर में 26763 कर्मचारी ही ऐसे हैं जिनको अभी तक 1 ही डोज लगी है। ये कुल कर्मचारियों का करीब 26 फीसदी है। विभागीय जानकारी के अनुसार वैक्सीन करनाल में कर्मचारियों को लगी है। वहां कुल 2235 कर्मचारियों का वैक्सीनेशन हुआ है जो कि जिले में कुल का करीब एक तिहाई से ज्यादा है। बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक गुरुग्राम में 1979 को एक डोज अब तक दी गई है। फतेहाबाद में 1835 को एक इंजेक्शन अब तक लगा है। सोनीपत, रोहतक, पानीपत, भिवानी और झज्जर तो ऐसे जिले हैं जहां अब तक 1000 कर्मचारियों को भी वैक्सीन नहीं लगी है। सबसे कम चरखी दादरी में केवल 310 को वैक्सीन लगी है।
शिक्षा विभाग में हैं 103886 कर्मचारी
विभागीय डाटा के अनुसार प्रदेश के अलग अलग जिलों में कुल 103886 कर्मचारी हैं। इसमें शिक्षण और गैर शिक्षण दोनों तरह का स्टाफ शामिल हैं। सबसे ज्यादा कर्मचारी हिसार जिले में हैं। वहां विभागीय कर्मचारियों का आंकड़ा 7303 है तो इसके बाद सबसे ज्यादा कर्मचारी सिरसा जिले में हैं और आंकड़ा है 6123। इसके बाद जींद में तीसरे स्थान पर सबसे ज्यादा 6101 कर्मचारी हैं। इसके बाद फिर करनाल, सोनीपत व भिवानी जिले हैं जहां कर्मचारियों की संख्या 5500 से 6000 के बीच में है।
दोनों वैक्सीन मिलाकर कुल 40 फीसदी को दवाई लगी
विभागीय आंकड़ों में दिखाया गया कि अगर एक इंजेक्शन लगवाने वाले और दोनों लगवाने वाले कर्मचारियों को जोड़ें तो अब तक कुल 40 फीसदी कर्मचारियों को वैक्सीन लगी है। 14790 कर्मचारियों को दोनों डोज तो 26763 को अब एक एक डोज दी गई है। इन दोनों को मिला दें तो आंकड़ा 41553 बैठता है।
वैक्सीन नहीं लगवाने वाले स्टाफ की जानकारी मांगी
विभाग के सहायक निदेशक की तरफ से प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, मौलिक शिक्षा अधिकारियों और स्कूल मुखिया को लिखे पत्र में साफ किया गया है कि जिन कर्मचारियों को वैक्सीन नहीं लगी है, उनको तुरंत लगवाई जाए। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग से समन्वय स्थापित किया जाए ताकि ये प्रक्रिया जल्दी पूरी हो सके। वो इसको लेकर अपने अपने जिले के उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक करें और वैक्सीन कैंप के आयोजन बारे रणनीति बनाकर सबको वैक्सीन लगाएं। जिन अध्यापकों व अन्य स्टाफ ने वैक्सीन नहीं लगवाई है, उनके बारे में जानकारी साझा की जाए। साथ ही ये भी कहा गया है कि वैक्सीन केंद्रों की सूची और समय सारणी भी शेयर की जाए। वैक्सीनेशन को लेकर साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट साझा करने को भी कहा गया है।
प्रदेश में कुल 14158 स्कूल
प्रदेश में अगर स्कूलों की बात करें तो कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक कुल 14158 स्कूल हैं। इनमें सबसे ज्यादा स्कूल हिसार, नूंह मेवात, यमुनानगर और सिरसा में हैं। यमुनानगर जिले में सबसे ज्यादा 888 स्कूल हैं। हिसार जिले में दूसरे स्थान पर सबसे ज्यादा 872 स्कूल हैं तो नूंह मेवात में 835 स्कूल हैं। वहीं सोनीपत में 712 स्कूल हैं। करनाल में 773 और कुरुक्षेत्र में 776 स्कूल हैं।
विभाग के कर्मचारी बड़े स्तर पर कोरोना की चपेट में आए थे
कोरोना की दोनों लहर के दौरान विभाग का स्टाफ बड़े पैमाने पर चपेट में आया था। कई कर्मचारियों की मौत भी हुई थी। ऐसे में जरूरी है कि सभी स्टाफ जन समय रहते कोरोना की दोनों डोज लगवा लें, ताकि तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए वो खुद को सुरक्षित कर सकें। लेकिन जिस का लापरवाही वाला रवैया स्टाफ दिखा रहा है, उस पर सवाल उठने लाजिमी है। शिक्षा विभाग की तरफ से भी कहा गया है कि जब तक विभागीय कर्मचारी वैक्सीन नहीं लगवाएं तो स्कूलों व विभाग के कार्यालयों को कोरोना संक्रमण से मुक्त सुरक्षित स्थल कैसे बना पाएंगे।