विश्व पशु जन्य दिवस पर मनुष्यों के पशुजन्य रोगों पर हुई ऑनलाइन संगोष्ठी

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Online seminar on animal-borne diseases
Online seminar on animal-borne diseases

 नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:  

लुवास विश्विद्यालय हिसार के विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा पशु जन्य रोग दिवस के उपलक्ष्य पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें महामारी को रोकने के लिए सभी पशु जन्य रोग जैसे टीबी, ब्रूसीलोसिस, रेबीज आदि पर चर्चा की गयी । वेबिनार का आयोजन डॉ. देवेन्द्र सिंह, डॉ. सुजोय खन्ना व डॉ. ज्योति शुन्थवाल, वैज्ञानिक ने डॉ. धर्मवीर दहिया, निदेशक, विस्तार शिक्षा निदेशालय के दिशा निर्देशन में किया। गौरतलब है की मनुष्यों के महामारी वाले रोगों में 75% से अधिक रोग पशु जन्य हैं जो पशुओं से इंसानों में आ जातें हैं । कोविड -19 महामारी के भी चमगादड़ से आने की सम्भावना को नाकारा नहीं गया है। डॉ. नसीब सिंह, उप- निदेशक, पशु पालन एवं ड़ेयेरी विभाग, महेंद्रगढ़ ने चर्चा में बताया की पशु जन्य रोगों में रेबीज, टी.बी., ब्रुसेल्ला आदि मुख्य हैं। प्राय: देखा गया है की ग्रामीण परिवेश में बिना उबाले दूध का सेवन किया जाता है। ऐसे बिना उबाले दूध से पशुओं से टी.बी. व ब्रुसेल्ला रोग होने का खतरा रहता है।  डॉ. देवेन्द्र सिंह ने चर्चा के दौरान बताया की पशु पालकों को पशु खरीदने से पहले तीन टेस्ट अवश्य करवाने चाहिए जिनमें टी.बी., ब्रुसेल्ला और जे.डी. रोग हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अथिति डॉ. संदीप गेरा, डीन, लुवास, हिसार रहे। उन्होंने पशु चिकित्सकों व वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा की वर्तमान में कोरोना महामारी को भी एक पशु जन्य रोग की श्रेणी में माना जाता है। ऐसे में पशु चिकित्सक, पशु वैज्ञानिक जगत को और तैयार होना पड़ेगा ताकि इस तरह के रोगों को पशुओं में ही रोक सकें।  वेबिनार में विभिन्न विभागों के वैज्ञानिकों ने पशु जन्य रोग से जुड़े सभी विषयों के बारे में चर्चा की ताकि भविष्य में किसी नयी महामारी के आगमन से पहले हम तयार रहे, और ऐसी किसी भी सम्भावनाओं को रोक सके। कार्यक्रम में उपस्थित सभी पशु चिकित्सकों ने फील्ड पर पशु जन्य रोगों से जुडी सभी सावधानियों के बारे में चर्चा की। बताया की पशुजन्य रोगों के कारण इतिहास में, वर्तमान व भविष्य में महामारी आने की संभावना बनी रहती है। ऐसे पशुजन्य रोगों को इंसानों में फैलने से रोकने के लिए पशुचिकित्सक जगत का सबसे पहला और सबसे अधिक योगदान रहता है। पशुचिकित्सक पहली पंक्ति में रहकर इंसानों कों होने वाले इन रोगों से बचाते है । उन्होंने कहा एक पशुचिकित्सक इन पशु जन्य रोगों को, जो पहले पशुओं में पाए जाते है, ऐसे पशु चिकित्सक जगत की अहम् भूमिका होती की संसार में इन तरह के रोगों को बढ़ने से रोकते हैं।