देश भर की तरह मुंबई में प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं, बावजूद इसके कि वह सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य की राजधानी है। प्याज के दाम १२० रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। देश की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव (नासिक) में प्याज की कीमत 100 रुपिये प्रति किलो है। ऐसे में मुंबई में प्याज के दाम अगले कुछ दिनों में 150 रुपये पहुंच जाएंगे। मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र में हुई बेमौसम बारिश के कारण प्याज की फसल को नुकसान हुआ है। मोदी सरकार द्वारा प्याज के आयात में छूट देने के फैसले के बावजूद देश में प्याज के दाम आसमान छूने लगे हैं।
अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों तक प्याज की कीमत कम होने की कोई उम्मीद नहीं है। प्याज जो सामान्य दिनों में महज 20 रुपये प्रति किलो मिलता था, अब खुदरा बाजार में 120 रुपये किलो तक पहुंच गया है.
बेहद निम्न क्वालिटी का प्याज भी लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है। विक्रेताओं की ओर से यही कहा जा रहा है कि बाजार में प्याज की सप्लाई नहीं होने के कारण कीमतें बढ़ रही हैं। यह सच है कि पिछले दिनों बरसात के कारण प्याज की कुछ फसल खराब हुई और बाजार में अभी नया प्याज आने में देरी है। इसलिए कीमतें लोगों को प्याज के आंसू रूला रहे हैं।
देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी कहे जाने वाले नासिक के लासलगांव में प्याज के दाम 10000, उससे कम अच्छा 8250 और खराब प्याज के दाम 3500 रुपए प्रति क्विंटल है। लासलगांव मंडी में पिछले कुछ दिन सिर्फ 250 नग (इसमें ट्रक, ट्रैक्टर, छोटा टैंपो सभी शामिल हैं, जिसमें प्याजा लाया जा सका) आए हैं। आम दिनों में यह संख्या 400 से ज्यादा हुआ करती है। कुछ दिनों तक दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के कई इलाकों में हुई भारी बारिश से खेतों में प्याज की फसल बर्बाद हुई है, जिसकी वजह से प्याज के भाव आसमान पर पहुंच रहे हैं। महाराष्ट्र के अलावा गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक में भी फसल को नुकसान हुआ है। सामान्य तौर पर खपत वाले इलाकों में इस समय कीमतों पर दबाव होता है, लेकिन बारिश से बर्बाद हुई फसल से सप्लाई प्रभावित हुई है।
मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में प्याज की खुदरा कीमतों में काफी उछाल है। दिल्ली में प्याज 90 रुपए प्रति किलो पर बिक रहा है। एक साल पहले यह कीमत 33 रुपए प्रति किलो थी। देश में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने और बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए सरकार ने पिछले महीने ही इसके निर्यात पर रोक लगाई थी।
नासिक के लासलगाँव, पिंपलगाँव, चाँदवड़, निफाड़ आदि में प्याज़ की खेती होती है लेकिन बारिश ने सभी जगहों की फसल को बरबाद कर दिया है। ऐसे तो प्याज़ की नयी फसल दिवाली में आती है लेकिन इस बार इन किसानो का दशहरा और दिवाली दोनो ही बरबाद हो गयी है और सबसे ज्यादा तो किसान प्याज़ के आंसू रो रहे हैं।
प्याज़ के बीजों की क़ीमत 4000 रु. है। ऐसे में किसान तो बेचारा फसल नष्ट हो जाने से परेशान है। फ़ायदा जो हुआ है वह बिचौलियों और व्यापारियों को हुआ है, जिसने प्याज़ का स्टॉक करके रखा था। अब यह व्यापारी 20 रु. में ख़रीदा प्याज़ 100 रु. में बेच रहे हैं। दूसरी ओर बेचारे किसान दुगुनी मार झेल रहे हैं- एक तो प्याज़ का नुक़सान और उसके बाद नयी फसल भी नष्ट हुई है।
नासिक प्याज़ मंडी के हीरालाल पाटिल का कहना है कि पहले नासिक मंडी में रोज़ के 100 से 120 ट्रक प्याज़ आता था लेकिन अब मुश्किल से 10-12 ट्रक आ रहे हैं।केंद्र सरकार ने चार देशों से प्याज़ आयात भी किया है। उम्मीद है कि इससे प्याज़ के दाम नियंत्रण में आ जाएँगे। वहीं अगर बात करें तो किसानों को प्याज़ की फसल में इस साल काफ़ी नुक़सान हुआ है। मार्च महीने में हुई बिन मौसम बरसात से फसल को काफ़ी नुक़सान तो हुआ ही, वहीं अब की बारिश में यह फसल नष्ट हो गयी।
लासलगाँव में प्याज़ उगाने वाले किसान नरेंद्र पवार ने एक एकड़ में प्याज़ बोया था। उम्मीद थी कि प्याज़ के अच्छे पैसे मिलेंगे लेकिन हुआ इसका उल्टा. प्याज़ तो उगा ही नहीं बल्कि बारिश ने पूरे खेत को नुक़सान पहुँचा दिया है।ऐसा ही हाल पिंपलगाँव के किसान शंकर गायकवाड़ का है। इन्होंने उस उम्मीद में प्याज़ की खेती की थी कि प्याज़ के मुनाफ़े से वह बेटी की शादी करेंगे लेकिन अब फसल बर्बाद होने से पैसे क़र्ज़ पर लेकर शादी करने की नौबत आ गयी है। उनका कहना है कि लॉकडाउन में उनको काफ़ी नुकसान हुआ। सोचा था कम से कम दिवाली तो अच्छी जाएगी लेकिन दशहरा और दिवाली दोनों ही अब न मनाने की नौबत आयी है।