नयी दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि संप्रग सरकार के समय शुरू की गयी 70 हजार करोड़ रुपये की कृषि रिण माफी योजना के बाद भी किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। पूर्व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के पूरक प्रश्न के जवाब में रूपाला ने कहा कि संप्रग-1 सरकार के समय शुरू की गयी योजना के बाद भी किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि योजना के आॅडिट में भी ऐसे मामले सामने आये और यह भी सामने आया कि उन लोगों का कर्ज माफ कर दिया गया जो किसान ही नहीं थे। इस दौरान सरकार के जवाब पर सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आपत्ति जताई जिस पर रूपाला ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। गौरतलब है कि संप्रग-1 सरकार ने 2008 में 70 हजार करोड़ रुपये के कृषि रिण माफ करने की योजना की घोषणा की थी। इस योजना में अनियमितताओं के आरोप लगे थे।
राधामोहन सिंह पिछली सरकार में नरेंद मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट में कृषि मंत्री थे और रूपाला तब भी उनके सहायक मंत्री थे। क्या उच्चतम न्यायालय ने सरकार को किसानों की खुदकुशी पर एक राष्ट्रीय नीति लाने का सुझाव दिया है, इस प्रश्न के उत्तर में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने छह जुलाई, 2017 को अपने आदेश में कहा कि इस तरह के विषय से रातोंरात नहीं निपटा जा सकता और अटॉर्नी जनरल का उचित तरीके से योजनाओं पर काम करने के लिए समय मांगना जायज है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के के. रघुराम कृष्ण राजू के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में रूपाला ने कहा कि सोमवार को विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का स्वरूप बदलने पर चर्चा हुई। हालांकि यह तय नहीं हुआ कि इस योजना में शत प्रतिशत प्रीमियम केंद्र सरकार वहन करेगी या नहीं। राकांपा की सुप्रिया सुले के पूरक प्रश्न के उत्तर में कृषि राज्य मंत्री ने बताया कि राजग सरकार की किसानों को 6000 रुपये वार्षिक सहायता देने की योजना को लागू करने में पहले कुछ राज्य संकोच कर रहे थे लेकिन अब सभी राज्यों ने इसे स्वीकारते हुए किसानों के आंकड़े भेजने पर सहमति जताई है।