आज समाज डिजिटल ,तोशाम:
तोशाम के पूर्व सरपंच नानकचन्द काठपालिया के फार्म पर शरद पूर्णिमा के दिन धार्मिक आस्था से जुड़ा रूद्राक्ष के पौधे सहित विभिन्न फलदार पौधे लगाए गए। पूर्व जिला पार्षद एडवोकेट सत्यवान श्योराण, वीरेंद्र संडवा, पूर्व सरपंच नानकचन्द ने बताया कि जिस तरह से शरद पूर्णिमा की रात का प्रकाश अमृत के समान बताया गया है उसी तरह आने वाली पीढ़ियों के लिए पेड़ पौधे जीवन का आधार हैं। आज के हालातों के मद्देनजर पौधे अधिक से अधिक लगाएंगे तभी जीवन संभव होगा। पूर्व जिला पार्षद एडवोकेट सत्यवान श्योराण ने बताया कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आश्विन या शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
यह त्योहार भगवान कृष्ण से हुआ है जुड़ा
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पूरे वर्ष में यह एकमात्र ऐसा दिन होता है, जब चंद्रमा अपने 16 गुणों से भरा होता है और समूची दुनिया पर अपनी छंटा बिखेरता है। चंद्रमा के प्रकाश को अमृत के समान माना जाता है। यह एक फसल उत्सव भी है, जो मानसून के मौसम के अंत और सर्दियों के मौसम की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है और इसलिए देश के उत्तरी क्षेत्रों में विशेष रूप से वृंदावन, ब्रज, मथुरा और नाथद्वारा में अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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