Former Haryana CM Om Prakash Chautala Passed Away: पहला चुनाव हार गए थे ओमप्रकाश चौटाला

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Former Haryana CM Om Prakash Chautala Passed Away: पहला चुनाव हार गए थे ओमप्रकाश चौटाला
Former Haryana CM Om Prakash Chautala Passed Away: पहला चुनाव हार गए थे ओमप्रकाश चौटाला

1970 में पहली बार बने विधायक
Former Haryana CM Om Prakash Chautala Passed Away (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व सीएम व इनेलो के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला का आज गुरुग्राम में निधन हो गया। चौटाला 89 साल के थे। तबीयत खराब होने पर उन्हें गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंने अंंतिम सांस ली। चौटाला 5 बार हरियाणा के सीएम रहे। आज उनके निधन पर उनकी जिंदगी से जुडेÞ किस्से हम आपको बता रहे है।

ओमप्रकाश चौटाला की चुनावी राजनीति की शुरूआत 1968 में शुरू हुई। उन्होंने पहला चुनाव देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से लड़ा। उनके मुकाबले पूर्व सीएम राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी से लालचंद खोड़ ने चुनाव लड़ा। इस चुनाव में ओमप्रकाश चौटला हार गए। हार के बाद चौटाला शांत नहीं बैठे। उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया और हाईकोर्ट पहुंच गए। एक साल चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने लालचंद की सदस्यता रद्द कर दी। 1970 में उपचुनाव हुए तो चौटाला ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने।

देवीलाल केंद्र सरकार में गए तो चौटाला को बनाया मुख्यमंत्री

साल 1987 के विधानसभा चुनाव में लोकदल को 90 सीटों में से 60 पर जीत मिली। ओपी चौटाला के पिता देवीलाल दूसरी बार सीएम बने। दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में केंद्र में जनता दल की सरकार बन गई। जिसमें वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। देवीलाल भी इस सरकार का हिस्सा बने और उन्हें उपप्रधानमंत्री बनाया गया। अगले दिन दिल्ली में लोकदल के विधायकों की बैठक हुई। जिसमें ओपी चौटाला को सीएम के लिए चुन लिया गया।

पहली बार सीएम बन पिता की सीट पर लड़े, 2 बार हिंसा हुई

2 दिसंबर 1989 को ओमप्रकाश चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। तब वे राज्यसभा सांसद थे। सीएम बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी था। देवीलाल ने उन्हें अपनी पारंपरिक सीट महम से चुनाव लड़वाया, लेकिन खाप पंचायत ने इसका विरोध शुरू कर दिया। 27 फरवरी, 1990 को महम में वोटिंग हुई, जो हिंसा और बूथ कैप्चरिंग की भेंट चढ़ गई। चुनाव आयोग ने आठ बूथों पर दोबारा वोटिंग कराने के आदेश दिए। जब दोबारा वोटिंग हुई, तो फिर से हिंसा भड़क उठी। चुनाव आयोग ने फिर से चुनाव रद्द कर दिया।

10 लोगों को की हुई थी मौत

लंबे सियासी घटनाक्रम के बाद 27 मई को फिर से चुनाव की तारीखें तय की गईं, लेकिन वोटिंग से कुछ दिन पहले निर्दलीय उम्मीदवार अमीर सिंह की हत्या हो गई। चौटाला ने दांगी के वोट काटने के लिए अमीर सिंह को डमी कैंडिडेट बनाया था। अमीर सिंह और दांगी एक ही गांव मदीना के थे। हत्या का आरोप भी दांगी पर लगा। जब पुलिस दांगी को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची, तो उनके समर्थक भड़क गए। पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चली दीं। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई।

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