नई बसें लाने और यातायात सुचारू बनाए रखने की दिल्ली सरकार के सामने चुनौती
Delhi News Update (आज समाज), नई दिल्ली। दिल्ली में भाजपा ने लंबे समय बाद सत्ता की कमान संभाली है। हालांकि केंद्र में भी भाजपा की सरकार है इसलिए दिल्ली सरकार को केंद्र से दिल खोलकर वित्तीय सहायता मिलना तय है। लेकिन दिल्ली सरकार के सामने ऐसी बहुत सारी चुनौतियां हैं जिससे उसे पार पाना होगा।
इनमें से एक अहम चुनौती है दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही पुरानी बसों को रिटायर्ड करने की। एक अध्ययन के अनुसार इस साल दिल्ली की सड़कों से दो हजार पुरानी बसें हट जाएंगी। दिल्ली में आवश्यकता की तुलना में कम बसें हैं। पुरानी बसें सड़कों से हट रही हैं और उस अनुपात नई बसें नहीं आ रही है। ऐसे में भाजपा सरकार के सामने पर्याप्त बसें उपलब्ध कराने की चुनौती बढ़ रही है।
आम लोगों को करना पड़ेगा परेशानी का सामना
बसों की कमी से लोगों को बहुत देर तक बस का इंतजार करना पड़ता है। बसों की कमी को दूर करने के लिए पुरानी बसें भी चलाई जा रही हैं जो रास्ते में अक्सर खड़ी हो जाती हैं। बसों की कमी का असर शहर की यातायात व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। बसें कम होने के चलते लोग निजी वाहनों का सहारा ले रहे हैं , इससे सड़कों पर जाम लगता है और लोग इससे भी परेशान होते हैं।
ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या होगी उत्पन्न
दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन ढांचा कमजोर होने से शहर को कई तरीके के नुकसान उठाने पड़ रहे हैं। बसों की संख्या कम होने से एक तरह लोग निजी वाहनों का सहारा ले रहे हैं और अपने वाहनों से अपने गंतव्य तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इससे समस्या यह खड़ी हो रही है कि दिल्ली में निजी वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है और सड़कों पर भी इसका असर देखा जा रहा है। जगह-जगह जाम लग रहा है जो रास्ता आधे घंटे का होना चाहिए वह एक से डेढ़ घंटे तक का भी हो जा रहा है। दूसरा निजी वाहनों की संख्या बढ़ने से दिल्ली में प्रदूषण प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में होने वाले कुल प्रदूषण में 40: वाहनों से होने वाला प्रदूषण शामिल है।
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