Aaj Samaj (आज समाज), Odisha Train Accident Updates, भुवनेश्वर: ओडिशा के बालेश्वर जिले में कल शाम हुए भीषण ट्रेन हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई और 747 घायल हैं। रेलवे ने आज शाम को यह जानकारी दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक व पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सहित कई नेताओं ने हादसे पर गहरा दुख जताया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी सूरत में नहीं बख्शेंगे।
- ओडिशा के बालेश्वर जिले में कल शाम को हुआ था हादसा
वंदे भारत एक्सप्रेस का इनॉगरेशन कार्यक्रम रद
प्रधानमंत्री आज शाम को ओडिशा पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया। इसके अलावा वह अस्पतालों में घायलों से मिले। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आज सुबह दुर्घटनास्थल पर पहुंचे थे। दुर्घटना के बाद शनिवार को होने वाला गोवा-मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस का इनॉगरेशन कार्यक्रम रद कर दिया गया। पीएम ने वर्चुअली इस वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखानी थी।
मालगाड़ी खड़ी थी, कोरोमंडल एक्सप्रेस सबसे पहले टकराई
कल शाम करीब सात बजे के आसपास बालेश्वर जिले के तहत बहानागा बाजार स्टेशन से दो किलोमीटर दूर पनपना के पास तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के कारण हादसा हुआ। जिन ट्रेनों की एक-दूसरे से टक्कर हुई उनमें कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल हैं। जहां हादसा हुआ वहां बहानागा बाजार स्टेशन की आउटर लाइन पर मालगाड़ी खड़ी थी।
मालगाड़ी से हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस सबसे पहले टकरा गई और इसके कई डिब्बे पटरी से उतर गए। उसी समय दूसरी और बगल वाली ट्रैक से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस को गुजरना था और उस ट्रैक पर कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे गिर गए थे, जिस वजह से बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस इन डिब्बों से टकरा गई। कोरोमंडल एक्सप्रेस की मालगाड़ी से हुई टक्कर इतनी जोरदार थी कि उसका इंजन मालगाड़ी के डिब्बे पर चढ़ गया।
मानवीय भूल या तकनीकी गड़बड़ी हो सकती है हादसे की वजहं
रेलवे के जानकारों का कहना है कि इस हादसे के पीछे दो कारण नजर आ रहे हैं। पहला- मानवीय भूल और दूसरा- तकनीकी खराबी। तकनीक में खराबी को अब तक बड़ी वजह माना जा रहा है। जब हादसा हुआ उस दौरान अगर सिग्नल सिस्टम दुरुस्त होते तो कोरोमंडल एक्सप्रेस को रोका जा सकता था। दरअसल, ड्राइवर ट्रेन को कंट्रोल रूम के निर्देश पर चलाता है और कंट्रोल रूम से निर्देश पटरियों पर ट्रैफिक को देख कर दिया जाता है। ऐसे में हादसे की जानकारी भी कंट्रोल रूम के पास पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, यह जानकारी कंट्रोल रूम तक कितनी देर में पहुंचती है, यह हादसे को रोकने में बड़ा फैक्टर हो सकता था।
कोरोमंडल एक्सप्रेस 2009 में भी शुक्रवार को हुई थी हादसे का शिकार
तीन फरवरी 2009 को ओडिशा के जाजपुर जिले में ट्रैक बदलते समय कोरोमंडल एक्सप्रेस की 13 बोगियां पटरी से उतर गई थीं। हादसे में 16 लोगों की मौत हुई थी। इत्तफाक से उस दिन भी शुक्रवार था। इसके अलावा 15 मार्च, 2002 को दोपहर में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में इसके सात डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसे में 100 यात्री घायल हुए थे। 14 जनवरी 2012 को ओडिशा में लिंगराज स्टेशन के पास इस ट्रेन के जनरल डिब्बे में आग लगी थी।
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