Odisha High Court : जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को खोलने के लिए बीजेपी नेता ने ओडिशा हाई कोर्ट में दायर की जनहित याचिका

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आशीष सिन्हा
आशीष सिन्हा
Aaj Samaj (आज समाज), Odisha High Court, नई दिल्ली :
1. *बिना आईडी प्रूफ 2000 के नोट बदले जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज*
बिना आईडी प्रूफ 2000 के नोट बदलने के खिलाफ दायर याचिका  को दिल्ली हाई कोर्ट खारिज किया। दिल्ली हाईकोर्ट में आरबीआई के बिना आईडी प्रूफ दो हजार के नोट बदलने के फैसले को चुनौती दी गयी थी। चलन से बाहर किए जा रहे 2000 के नोटों को बिना आईडी प्रूफ और डिपॉजिट स्लिप के बैंकों में जमा करने की सुविधा दी गई है। आरबीआई के इसी फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनोती दी गुई थी।

रिजर्व बैंक ने 19 मई को नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि 2000 के नोट चलन से बाहर किए जा रहे हैं। जिसके तहत लोग बैंकों में 2000 के नोट जमा करा सकते हैं। बैंकों में 2000 के नोट जमा करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया गया है।

याचिका में कहा गया कि सरकार का यह फैसला मनमाना है और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 2000 के नोट या तो व्यक्तिगत लॉकर में पहुंच चुके हैं और उन्हें आतंकियों, नक्सलियों, ड्रग तस्करों, खनन माफिया और भ्रष्ट लोगों ने जमा कर लिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के सभी तर्कों को दरकिनार याचिका को खारिज कर दिया।

2 *बदला-बदला सा नजर आ रहा है सुप्रीम कोर्ट का मंजर, फ्यूचरिस्टिक अदालतें शुरू*

भारत की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में आज 3 जुलाई से पेपरलेस ग्रीन कोर्ट रूम की शुरुआत हो गई है। इस पेपरलेस ग्रीन कोर्ट रूम की शुरुआत के बाद अब सुप्रीम कोर्ट अब पूरी तरह से हाईटेक हो गया है। अत्याधुनिक आधुनिक तकनीक के प्रयोग होने से न्यायाधीशों के लिए पॉप-अप स्क्रीन दस्तावेजों की भौतिक प्रतियों की जगह पेपरलेस ग्रीन कोर्ट ने ले ली है। इसने एक डिजिटल लाइब्रेरी कानून से संबंधित पुस्तकों की जगह ले ली है। 73 सालों के इतिहास में अब भारतीय न्यायपालिका के पूरी तरह हाईटेक होने की शुरुआत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की पहली 3 कोर्ट ग्रीन हाईटेक कोर्ट बनीं हैं. अब न फाइलें होंगी न कोर्ट रूम में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की किताबें यहां नजर आएंगी।

सुप्रीम कोर्ट में इस हाईटेक शुरुआत को चीफ जस्‍ट‍िस डी वाई चंद्रचूड़ की नई पहल के रूप में देखा जा रहा है। सोमवार से फ्यूचरिस्टिक अदालतों की शुरुआत हो गई है। इन अदालतों के कक्षों में बड़े एलसीडी लगाए गए हैं और वकीलों के लिए भी हाईटेक सुविधाएं शुरू की गई हैं। कम्प्यूटर के जरिए कागजात जजों को दिखाए जा सकेंगे। जज भी कानून की किताबों की जगह डिजिटल तरीके से विभिन्न फैसले देख सकेंगे। कोर्ट 1 से 5 के अलावा कॉरिडोर, मीडिया रूम, वेटिंग रूम आदि में वादियों, वकीलों और मीडियाकर्मियों के लिए वाई फाई की शुरुआत की गई है।

गर्मि‍यों की छुट्टियां खत्म होते ही कोर्ट खुलने पर आज यानी 3 जुलाई से जजों और वकीलों को कोर्ट परिसर में बदलाव नजर आ रहा है। अभी सुप्रीम कोर्ट की सिर्फ तीन अदालतों को ही फ्यूचरिस्टिक अदालत बनाया गया है। धीरे-धीरे बाकी कोर्ट रूम्स को भी फ्यूचरिस्टिक अदालतों में परिवर्तित कर दिया जाएगा।

3 *आदिपुरुष पर नहीं आया I&B का जवाब, दिल्ली हाईकोर्ट ने टाली सुनवाई*

आदिपुरुष फिल्म को लेकर दायर याचिका पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय का जवाब न आने के कारण दिल्ली हाइकोर्ट ने एक बार फिर सुनवाई टाल दी गई है। दिल्ली हाई कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 27 जुलाई को करेगा। कोर्ट ने कहा है कि फिल्म रिलीज हो चुकी है। इससे पहले यह याचिका वेकेशन बेंच के सामने पेश की गई थी, लेकिन बेंच ने यह कह कर उस समय सुनवाई टाल दी थी कि फिल्म जारी हो चुकी है। इसलिए रेग्युलर बेंच सुनवाई करेगी।

यह याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि आदिपुरुष फिल्म की वजह से करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। विष्णु गुप्ता ने याचिका में कहा, ‘फिल्म में हमारे आराध्य देवताओं का गलत तरीके से चित्रण किया गया है, जो कि आपत्तिजनक है। इसलिए ऐसी फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगनी चाहिए।’

हिंदू सेना की याचिका में कहा गया कि जिस तरीके से फिल्म आदिपुरुष में भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी का चित्रण किया गया है, वो महर्षि वाल्मीकि की रामायण और तुलसीदास की रामचरितमानस के ठीक विपरीत है।

ओम राउत के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। फिल्म में जिस तरह से तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है, उसे देखकर हमारा मन चिंतित और व्यथित है।

याचिका में ये भी कहा गया, ‘ये पीआईएल उन लोगों की तरफ से भी दायर है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या किसी कारण कोर्ट कचहरी आने में असमर्थ हैं। चूंकि भावनाएं उनकी भी आहत हुई हैं, इसलिए ये पीआईएल उन्हें भी रिप्रजेंट करती है। याचिका में कहा गया कि सिनेमैटोग्राफ एक्ट-1952 के तहत आम लोगों को यह फिल्म दिखाई जानी सही नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए इस फिल्म पर बैन लगाया जाए।

बहरहाल, आदिपुरुष की टीम को इस मामले में सूचना और प्रसारण मंत्रालय को 4 अक्टूबर तक जवाब देना था। हालांकि आज तक उनका जवाब नहीं आया।

4 *घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों के लिए आयोग बनाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज*

घरेलू हिंसा से पीड़ित विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश देने (आयोग बनाने) की मांग वाली याचिका को याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले लिया है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह शादी के तुरंत बाद मरने वाली युवा लड़कियों का डेटा दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता, यह व्यक्तिगत मामले के तथ्यों पर निर्भर करता है। आपराधिक कानून देखभाल करता है, उपचार नहीं करता।

यह याचिका अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी द्वारा दायर की गई थी। याचिका में देश में दुर्घटनावश मौतों के संबंध में 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला दिया गया है।

इसमें यह उल्लेख किया गया है कि उस वर्ष देशभर में एक लाख 64 हजार 33 लोगों ने आत्महत्या की। याचिका में कहा गया कि इनमें विवाहित पुरुषों की संख्या 81 हजार 63 थी, जबकि 28 हजार 680 विवाहित महिलाएं थीं।

5*जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को खोलने के लिए बीजेपी नेता ने ओडिशा हाई कोर्ट में दायर की जनहित याचिका

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता समीर मोहंती ने ओडिशा उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की, जिसमें पुरी में जगन्नाथ भगवान के रत्न भंडार (खजाना) को खोलने की मांग की गई है।
भाजपा नेता ने मरम्मत और सजावट की सूची के लिए पुरी में भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार (खजाना) खोलने की अनुमति देने के लिए ओडिशा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। जनहित याचिका में, ओडिशा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने श्री जगन्नाथ मंदिर की डुप्लीकेट चाबी या रत्न भंडार की (केंद्रीय जांच ब्यूरो) सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की।श्रीजगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबी को लेकर बीजेपी नेता समीर मोहंती ने सीबीआई जांच की मांग की है।

इस बीच, भगवान जगन्‍नाथ के बड़ाग्रही जगन्‍नाथ स्वैन महापात्र ने गुरुवार को वर्षों से पवित्र त्रिमूर्ति के नियमित अनुष्ठानों के दौरान पुराने आभूषणों के उपयोग पर नाराजगी व्यक्त की।भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन-भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा ने गुरुवार शाम को ‘राजराजेश्वर बेशा’ धारण किया, जो ‘सुना बेशा’ के नाम से मशहूर है।

किंवदंती के अनुसार, राजा कपिलेंद्र देब एक पड़ोसी राज्य पर विजय प्राप्त करके भारी मात्रा में सोने के आभूषण लाए थे।  उन्होंने 1460 में मंदिर को सभी मूल्यवान टन सोना दान कर दिया था। तब से, रथ यात्रा के दौरान ‘सुना बेशा’ देवताओं के लिए एक प्रमुख अनुष्ठान रहा है।
पुराने दिनों में, कपिलेंद्र देबा के शासनकाल के दौरान, देवताओं ने लगभग 138 डिज़ाइन के सोने के आभूषण पहने थे।  लेकिन आजकल देवी-देवताओं को केवल 35 प्रकार के आभूषणों से ही सजाया जाता है।  इन आभूषणों का वजन 208 किलोग्राम है।  पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार करीब चार दशकों से नहीं खुला है।
भगवान जगन्नाथ के ‘सुना बेशा’ को देखने के लिए 15 लाख से अधिक लोग पुरी पहुंचे।

6*मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा हिंसा रोकने के लिए क्या कदम उठाए? 10 जुलाई को अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से तीन मुख्य बिंदुओं को लेकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हो रही हिंसा को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी राज्य सरकार से मांगी है।इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बेघर और हिंसा प्रभावित लोगों को दोबारा बसाने, सुरक्षाबलों की तैनाती और कानून व्यवस्था की जानकारी भी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को मामले को अगली सुनवाई करेगा।

वही इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि राज्य में स्थिति धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं। इस पर कोर्ट ने उनसे मणिपुर के हालात की ताजा स्थिति बताने को कहा। पीठ ने कहा, ‘‘इसमें पुनर्वास शिविरों, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाए गए कदम और हथियारों की बरामदगी जैसे विवरण होने चाहिए।’

हालांकि कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने सुरक्षा बलों की तैनाती और कानून व्यवस्था की हालिया स्थिति का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में कर्फ्यू की अवधि अब 24 घंटे से घटाकर पांच घंटे कर दी गई है। तुषार मेहता के मुताबिक, राज्य में पुलिस, इंडियन रिजर्व बटालियन और सीएपीएफ की 114 कंपनियां भी तैनात हैं।

वही कुकी समुदाय की तरफ से पेश हुए वकील कॉलिन गोंजाल्वेज़ ने आरोप लगाते हुए कहा कि उग्रवादी एक समाचार कार्यक्रम में आए और कहा कि वे कुकी समूहों का सफाया कर देंगे, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते लगाया कि कुकी समूहों के खिलाफ हिंसा ‘‘राज्य द्वारा प्रायोजित’’ थी। जिस पर सॉलिसिटर जनरल ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि कुकी समूहों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेज़ को चाहिए कि वह मामले को सांप्रदायिक रंग’ न दें।

दरअसल एक दिन पहले दो कुकी संस्थाओं ने मणिपुर के राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगाए अवरोध हटा लिए थे और साथ ही दोनों ही पक्षों ने कहा था कि गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में शांति और सौहार्द लौटाने के लिए अपील की थी, जिसके बाद यह कदम उठाता गया है।