(Nuh News) नूंह। जिला में मंगलवार को तुलसी-शालीग्राम विवाह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। मंगलारती से ही मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा था खासकर जिन मंदिरों में कार्तिक उत्सव चल रहे थे, वहां एकत्रित श्रद्वालूओं ने अल सुबह गाजे-बाजे से प्रभात फेरी निकालकर अपने अराध्य की पूर्ण विधि से पूजा अर्चना की। कई मंदिरों में तुलसी-शालीग्राम के विवाह का आयोजन किया गया तथा वर व वधु पक्ष की तरफ से आयोजित कार्यक्रम के दौरान बाराती जमकर थिरके तथा वधु पक्ष ने बारातियों को जोरदार स्वागत किया।
सनातन धर्म मंदिर तावडू प्रबंधन से जुड़ी पंडितानी रामप्यारी, श्रीराम मंदिर नूंह के पुजारी पवन शर्मा, श्री गायत्री माता मंदिर नूंह के पुरोहित राजेश मिश्रा, शिवद्वेश्वर मंदिर नूंह के पुजारी सतीश मिश्रा, बालाजी मंदिर नूंह, श्री राधा-कृष्ण मुदिर आदि से जुडें पंडितों व प्रबंधकों ने बताया कि भारतीय धर्म संस्कृति में इस पर्व का विशेष महत्व है। भगवान विष्णू के शालीग्राम रूप और मॉ तुलसी के विवाह का विधान हैं तथा तुलसी विवाह का आयोजन के बाद इस दिन तुलसी मगांष्टाक का पाठ करने की सलाह दी। तुलसी-शालीग्राम विवाह महोत्सव के दौरान जिला के विभिन्न मंदिरों के अलावा सनातन धर्म मंदिर तावडू में आयोजन के दौरान भक्तजन जमकर थिरके।
पंडित सतीश मिश्रा ने बताया कि इस दिन चावल खाना,मांसाहारी या तामसिक गुणों वाली चीजों से गुरैज करें व पेड-पौधों के पत्ते नहीं तोडना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि तुलसी तोडने व सेवन से गुरैज करना चाहिए क्योकि तुलसी भगवान विष्णू का प्रिय हैं। भोग से पूर्व तुलसी तोड लेनी चाहिए लेकिन अर्पित की गई तुलसी स्वंय ग्रहण ना करें।
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