Nuh News : नई सरकार गठन को लेकर सूबे के नए मुखिया को लेकर अभी भी स्थिति रहस्यमय बनी हुई

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राजनीतिक चर्चा करते हुए लोग
(Nuh News) नूंह। सूबे की नई सरकार गठन को लेकर सूबे के नए मुखिया को लेकर अभी भी स्थिति रहस्यमय बनी हुई हैं। हांलाकि, विधानसभा चुनाव ऐलान से पूर्व चण्डीगढ आये केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नायब सिंह सैनी को अगला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया था और उनके नेतृत्व में 15वीं विधानसभा आम चुनाव लडऩे के दौरान पार्टी ने लगातार तीसरी बार सत्ता में वापिसी की हैं। सूबे के इतिहास में भाजपा ने अपने दम पर 48 सीटों पर जीत दर्ज कर एक इतिहास बनाया हैं, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद सूबे के अगले मुख्यमंत्री को लेकर गुरूग्राम से भाजपा सांसद व केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह व लगातार 7 बार विधायक बने पूर्व गृहमंत्री अनिल विज के मुख्यमंत्री बनाने की कथिततौर से की जा रही बयानबाजी के साथ-साथ लगातार तीसरी बार शपथ ग्रहण समारोह की तिथि में भी बदलाव हुआ हैं।
हांलाकि, पार्टी हाई कमान ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को नई सरकार के गठन के लिए बतौर पर्वयेक्षक भेजा है और शपथ ग्रहण से पूर्व 16 अक्तुबर को विधायक दल के नेता का चयन होने से मुख्यमंत्री के नाम की स्थिति स्पष्ट हो जायेगी। माना जा रहा है कि राव इन्द्रजीत सिंह व अनिल विज का नाम अगले मुख्यमंत्री के दौर से पार्टी की सूची से बाहर हो गया बताते हैं। जबकि, कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ही सूबे की 15वीं विधानसभा के मुख्यमंत्री होंगे।

जिला की आधी समझी जाने वाली हॉट सीट सोहना-तावडू से भाजपा 2014 से लगातार काबिज हैं

माना जा रहा है कि उनकी मंडली में कई नए चेहरों को भी जगह मिल सकती हैं, जबकि सूबे के अंतिम छोर पर बसे मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह(मेवात) में पार्टी का कोई जनप्रतिनिधि न होने से जिला की भागीदारी का नाम बेशक खारिज हैं लेकिन जिला की आधी समझी जाने वाली हॉट सीट सोहना-तावडू से भाजपा 2014 से लगातार काबिज हैं। मौजूद नव निर्वाचित विधायक तेजपाल तंवर ने 2014 में सर्व प्रथम यहां से कमल खिलाया था।
विधानसभा के साथ-साथ जिला नूंह(मेवात) में भी अपनी सहभागिता निभाने की बात भी जग जाहिर हैं। जातीय आधार से वह गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और प्रदेश की कई सीटों पर गुर्जर मतदाताओं का दब दबा हैं। सोहना-तावडू सीट भी मेव-गुर्जर बाहुल्य सीट हैं और इस बार के चुनाव में विभिन्न सियासी दलों के पांच गुर्जर उम्मीदवार व मेव समुदाय से दो में से एक हेवीवेट उम्मीदवार होने के बावजूद उनके द्वारा जीत का परचम लहराया गया हैं।