(Nuh News) नूंह। विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही सियासी दलों ने जहां तैयारियां शुरू कर दी हैं वहीं, दूसरी ओर सियासी दलों में भी भगदड़ मच गई है। खासकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खटटर की गठबंधन वाली सरकार के गठबंधन सहयोगी रहे जजपा के 5 विधायकों ने पार्टी से किनारा कर लिया है। इसके अलावा सत्तारूढ व विपक्षी कांग्रेस समेत अन्य दलों के विधायक, पूर्व विधायक व पार्टी के नामचीन चेहरे आदि भी पासा पलटने की चर्चाएं इन दिनों जोरों पर है। इसी तरह, जिला मुख्यालय नूंह में सत्तारूढ दल के दो मुस्लिम नेताओं के सियासी वजूद को लेकर छिड़ी जंग, सियासी गलियारों में जमकर सुर्खियां बटोर रही है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट की चाहा में लगे दोनों दावेदार इस मुददे पर एक -दूसरे को नीचा दिखाने में मौकानुसार सक्रिय हैं। इससे पूर्व भी दोनों में कई बार वाकयुद्व की खबरें जग जाहिर हैं, अभी हाल सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों के पैतृक गांवों में पार्टी प्रत्याशी राव इन्द्रजीत को नाममात्र मत मिलने की बात भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जबकि नूंह के दो सियासी घरानों के नेताओं को पटकनी देने के लिए कांग्रेस, इनेलो, भाजपा के कुछ नेताओं ने गत दिनों बैठक कर नई रणनीति की बात भी सामने आ रही है जिसका असर नूंह सीट पर आगामी विधानसभा चुनाव में साफ देखने को मिलेगा।
उधर,विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ दल भाजपा व विपक्षी दल कांग्रेस, इनेलो-बसपा, जजपा व आप समेत अन्य दल जहां चुनाव को लेकर जहां पूरा फोकस कर रहे हैं वहीं, संबंधित पार्टियों के दावेदार चुनाव लडऩे की फिराक में अपने ही दल के दावेदारों को कोसने में कतई गुरैज नहीं कर रहे हैं। दरअसल, जिला मुख्यालय नूंह समेत तीनों सीटों पर सत्तारूढ दल व विपक्षी पार्टियों से टिकट की चाहा में लगे दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त होने से यह बवाल अधिक मच रहा हैं। खासकर जिला की आधी समझी जाने वाली सत्तारूढ व विपक्षी दलों से टिकट की चाहा वाले उम्मीदवारों की लम्बी सूची भी पार्टियों के लिए सिर दर्द बने हुए है। ऐसे में टिकट से वंचित कई दावेदार जहां चुनावी रणक्षेत्र में पार्टियों के घोषित उम्मीदवारों की जीत की राह में रोड़ा बन सकते हैं। जिला के सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि कई बगावती नेता एकजुटता दिखाकर मेवात के सियासी घरानों के बड़े दावेदारों की सियासत का तख्त पलटने की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
बहरहाल, विधानसभा चुनाव की तिथियां घोषित होने के साथ-साथ सियासी दलों द्वारा टिकटों के ऐलान से पूर्व सत्तारूढ व विपक्षी दलों में कथिततौर से छिड़ा सियासी वाकयुद्व इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। सियासी दलों के दावेदार आगामी विधानसभा चुनाव की राजनीति को लेकर एक-दूसरे को नीचा दिखाने में कतई गुरैज नहीं कर रहे हैं। संबंधित दल भी अभी तक इस पर कोई कार्यवाही अमल में नहीं ला रहे हैं। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों की जीत की राह में अपने ही दलों के नेता रोड़ा बनने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।