(Nuh News) नूंह। क्षेत्र के जाने -माने ज्योतिषाचार्य पं0 रमेश शास्त्री ने जानकारी दी कि पितृपक्ष(श्राद्व) का भारतीय धर्म संस्कृति में विशेष महत्व हैं। भारतीय शास्त्रों में श्राद्व के लिए कुल 96 अवसर बताये गये है साथ ही श्राद्व के अनेक भेद बताये गये हैं, कहीं 3, कहीं 5 तो कुछ धर्म शास्त्रों में 12 श्राद्व तक बताये गये हैं। अपने पितरों की संतुष्टि,प्रशंसा और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्व(कनागत) करना जरूरी हैं। पितर मुक्ति के लिए स्वर्ग की सीढी भी कहा जाता हैं। शास्त्रों में तीर्थ श्राद्व की बहुत महिमा बताई गई है। अश्विन माह में पितृ पक्ष के 16 दिन बहुत ही महत्व माने जाते हैं। इस बार पितृपक्ष(श्राद्व) की तिथि को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 17 सितंबर से 2 अक्तुबर सर्व पितृ अमावश्या तक श्राद्व होंगे। 17 सितंबर को भाद्रपद पुर्णिमा से श्राद्व का महिना शुरू होने जा रहा हैं। लेकिन इस दिन श्राद्व नहीं किया जायेगा। पूर्णिमा पर ऋषियों का तरपण करने का विधान हैं और इस बार 18 सितंबर को पहला श्राद्व होगा।