Nuh News : नेता जी सुभाष चंद बोस की 79वीं पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें याद कर उनके तैलचित्र पर पुष्पांजलि दी गई

0
80
On the occasion of Netaji Subhash Chand Bose's 79th death anniversary, floral tributes were paid to his oil painting.
नेता जी सुभाष चंद बोस की 79वीं पुण्यतिथि के मौके पर नूंह व तावउू में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें याद कर कीर्ति स्तम्भ पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए

(Nuh News) नूंह। जिला में नेता जी सुभाष चंद बोस की 79वीं पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें याद कर उनके तैलचित्र पर पुष्पांजलि दी गई। नूंह के वार्ड नं-13 स्थित एक आवास पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान बुद्वीजीवी वाईपी जौहरी ने कहा कि कायस्थ रत्न व भारतीय आजादी के वीर सपूत नेता जी सुभाष चंद बोस की पुण्यतिथि पर उनको शत-शत नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि नेता जी के द्वारा जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है और साथ ही तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा वाला नारा भी उनका था जो उस समय अत्याधिक प्रचलन में था। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। इस मौके पर कायस्थ भुर्जी समाज से समाजसेवी जगदीश किरंजिया, सुभाष चंद, मनोज माथुर, सुरेन्द्र माथुर आदि भी मौजूद रहे। इसी तरह, अखिल भारतीय जनसेवक समाज(पंजी0) के तत्वधान में राजकीय मॉडल संस्कृति विद्यालय तावडू के प्रांगण में स्थित आजाद हिन्द फौज के स्वतंत्रता सेनानियों की यादगार में बने कीर्ति स्तम्भ पर माल्यार्पण किया।

तावडू नपा के निवर्तमान उप प्रधान व सर्वजात नेता कर्मसिंह उर्फ कल्लू ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा देश की आजादी के नायक रहे नेता जी की आज पुण्यतिथि हैं लेकिन मौत के 79 साल बीत जाने के बाद भी कई सवाल लोगों के मन में हैं। नेता जी की मौत प्लेन क्रेस पर शक के साथ-साथ एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर जापान में रखी अस्थियां वाकई नेता जी की हैं तो उन्हें अब तक भारत क्यों नहीं लाया गया। जबकि नेता जी के परिवार के सदस्य बार-बार उनके डीएनए तक की आवाज मुखर कर चुके हैं। द्वितीय विश्व युद्व के दौरान फिरंगियों के खिलाफ लडने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया था और उनकी सेना में शामिल मेवात के योद्वाओं की गाथाओं का जिक्र आज भी कीर्ति स्तम्भ पर अंकित हैं। लेकिन यह विडम्बना कहिए की पूर्व में एक बड़ी जगह में बना कीर्ति स्तम्भ आजाद हिन्द फौज के जाबांज सैनानियों के योगदान की गाथाओं का वर्णन कर रहा हैं। लेकिन प्रशासन की कथित उपेक्षा से कीर्ति स्तम्भ का दायरा बहुत सीमित जगह पर होने से उसकी धुंधली तस्वीर ही दिखाई दे रही हैं।
इस दौरान प्रधान नम्बरदार सुरेन्द्र सिंह, हाजी काले खान, वेदप्रकाश, राम सहाय, पृथ्वी प्रधान, घासीराम, बाबूलाल आदि भी मौजूद रहे।