नूंह। (Nuh News) प्रकृति और गोवंश संरक्षण-संवर्धन की प्रतीक गौवर्धन पूजा पर्व के मौके पर जिला की गौशालाओं में गोपूजन के साथ-साथ गोवंश के बढ़ावा देने की बात पर जोर दिया गया। गोप्रेमियों ने गौशालाओं में पहुंचकर गो ग्रास, गुड़ आदि खिलाकर गौवंश की पूजा की और साथ ही प्राकृति के अनुसार गाय के गौबर से भूमि पर सामुहिक गोवर्धन महाराज की कृत्रिम आदमकद प्रतिमा बनाकर पूर्ण विधि से पूजन भी किया गया।
श्रद्वालूओं ने गोवंश को चारा, गुड़़, प्रसाद आदि खिलाकर उनका अभिषेक कर गोवर्धन महाराज की महिमा का गुणगान किया।
गोप्रेमी हेमंत सहरावत, लीलू प्रधान तावडू, चौधरी शिवदत, भगवान सिंह, पप्पू, चाटू सोनी उर्फ सुरेन्द्र, कपिल सोनी, नरेश सोनी, देवेन्द्र नम्बरदार इंडरी, सतबीर सहरावत, करण सिंह, प्रीत सिंह, रजत जैन नगीना, गिरिराज,घनश्याम, पूरन सिंह, सुक्की, भूप सिंह, झब्बू सहरावत, रामू, हुकम सिंह, होशियार सिंह, तुलेराम, रोहताश सिंह फौजी, रविन्द्र, प्रभा, पिटटी, बिजेन्द्र, रणधीर सिंह आदि का कहना है कि भारतीय धर्म संस्कृति गो पालन, गोरक्षा व गोपूजन का विशेष महत्व की बात पर जोर देती है। हमारे हर पर्व पशु-पक्षी, प्राकृतिक की रक्षा की प्रेरणा देते हैं।
प्रकृति और गोवंश संरक्षण-संवर्धन की प्रतीक गोवर्धन पूजा पर्व के मौके पर जिला की गौशालाओं में गोपूजन के साथ-साथ गोवंश के बढ़ावा देने की बात पर जोर दिया गया। इस पर्व से हमें अपनी धर्म संस्कृति का ज्ञान भी मिलता हैं। गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता हैं। पारम्परिक उत्सवों में गाय पूजन के लिए हिन्दुओं के लिए यह आस्था का प्रतीक हैं लेकिन मौजूदा दौर में लोगों की गौपालन के प्रति घटती दिलचस्पी भी एक चिंता का विषय बनता जा रहा हैं।
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