- उनकी दिवाली भी काली मनने के आसार
नूंह। (Nuh News) जिला के विभिन्न सरकारी स्कूलों में लगी मिडे-मील वर्करों को पिछले 4-5 महीनों से मानदेय नहीं मिलने से उनके सामने दिपावली पर्व पर आर्थिक संकट छाया हुआ है। उनकी माने तो सरकार वर्करों को वर्ष भर में केवल 10 माह ही मानदेय देती है लेकिन उसको भी कई-कई महीनों में देने से वह बदहाल हो गई हैं। उन्होंने बताया कि वह पूरी लग्न व मेहनत से अपने काम को करती हैं परन्तु इसके बावजूद भी वह अपने मानदेय को लेकर धक्के खाने को मजबूर हैं।
मिडे मील वर्कर सुशीला, फरजीना, सीमा, सबनम, रानी, कमलेश आदि ने बताया कि उनको पिछले 4-5 महीने से मासिक मानदेय ना मिलने से उनके समक्ष आर्थिक संकट छा गया है। जबकि वह आंधी,बारिश, सर्दी, गर्मी हर मौसम में नोन-स्टोप मामूली से मानदेय में अपने काम में लगी रहती हैं और इसके अलावा अन्य कोई कार्य भी नहीं कर पा रही। उन्होंने बताया कि दिपावली पर्व खुशियों व प्रकाश का पर्व हैं सरकार विभिन्न सरकारी कर्मचारियों को बौनस व अन्य सुविधा दे रही है लेकिन उनको कई माह से वेतन ना मिलने से उनका त्योहार अंधेरे में ही मन रहा हैं।
उन्होंने बताया कि उनका संगठन चुनाव से पूर्व ही अपनी मांगों को लेकर प्रयासरत है तथा मानदेय हर महीने की 10 तारीख से पहले वर्कर के बैंक खातें में दिया जाए, मानदेय साल में 10 महीने की बजाये 12 महीने दिया जाये , न्यूनतम मासिक मानदेय कम से कम 28 हजार रू0 दिया जाये, वर्दी का बकाया भुगतान दिया जाये व 2000 रू0 वर्दी के दिये जाये, मिडे मील वर्कर की रिटायर्मेंट उम्र 65 साल हो, सेवानिवृति के समय 5 लाख रू0 दिये जाये, स्कूलों को मर्ज करना बंद किया जाये, हटी वर्करों को दोबारा काम पर रखा जाये, दुर्घटना होने पर ईलाज की व्यवस्था व मृत्यु होने पर 5 लाख रू0 दिया जाये आदि मांगे रखी गई थी लेकिन इन मांगों को पूरा करने की बजाये मानदेय तक नहीं दिया गया है।
उन्होंने नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिडे मील कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से पूरा मानदेय दिलाने व मांगे पूरी कराने की फरियाद लगाई हैं।
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