(Nuh News) नूंह। अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धर्म अनुयायी प्रकाशोत्सव मानते हैं। जैन धर्म धर्म के अनुयायीयो ने भी पूर्ण हर्षोल्लास के साथ प्रकाशोत्सव मनाया । रजत जैन नगीना, सुरेन्द्र जैन, गुलशन जैन, हैप्पी जैन, विपिन जैन, मनीष जैन, राहुल जैन, साधना जैन, अशोक जैन, गोरव जैन आदि ने बताया की 2551 वर्ष पूर्व कार्तिक माह की अवामावस्य को प्रात:काल जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण (मोक्ष)प्राप्त हुआ था। भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर गौतम स्वामी को 2551 ,वर्ष पूर्व, ईसा पूर्व 527, में संध्याकालीन समय में केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी।गौतम स्वामी को केवल ज्ञान की प्राप्ति होने की अपार खुशी में जैन धर्म के अनुयायी प्रकाशोत्सव (दीपावली)का पर्व मानते हैं।
जिनेंद्र प्रभु से की प्रार्थना- तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति हुई थी।ओर भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर गौतम स्वामी को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था । जैन धर्म में लक्ष्मी का अर्थ निर्वाण से है। गणधर गौतम स्वामी को केवल ज्ञान रूपी सरस्वती प्राप्त हुई थी । इसलिए जैन धर्म में लक्ष्मी- सरस्वती का पूजन किया जाता है। जैन धर्म में लक्ष्मी पूजन में धन पूजन की कोई मान्यता नहीं है।
जिनेन्द्र प्रभु से ब्रह्मांड की सुख,शांति,समृद्धि, उन्नति, खुशहाली, संप्रभुता,मंगल की कामना की।जिससे की जगत के प्रत्येक प्राणिमात्र भयमुक्त व खुशहाल रह सके। रजत जैन ेन बताया कि भक्तजनों ने वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण जी मुनिराज रत्नाकर के 63 वां अवतरण दिवस पर गुरुग्राम जाकर दर्शनकर जन कल्याण की भावना के साथ मंगल आशीर्वाद लिया।गौतम स्वामी का जन्म ईसा पूर्व 607 में मगध राज्य के गांव गोच्चर में हुआ।इनके पिता का नाम वसुपति,माता का नाम पृथ्वी था।। इनका जन्म का नाम इंद्र भूति था।
रजत ने बताया कि गौतम स्वामी का भगवान महावीर स्वामी से मिलन मध्यम अपापापुरी में हुआ।30 वर्ष तक ये भगवान महावीर स्वामी के गणधर के पद पर आसीन रहे। 80 वर्ष की आयु में इन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई। 12 वर्षों तक केवल ज्ञानी रहे। जिनेन्द्र प्रभु से ब्रह्मांड की सुख,शांति,समृद्धि, उन्नति, खुशहाली, संप्रभुता,की मंगल की कामना करते हैं। जिससे कि जगत का प्रत्येक प्राणिमात्र भयमुक्त व खुशहाल रह सके।
देश की एकता व अखंडता के लिए भगवान जिनेन्द्र प्रभु से विशेष प्रार्थना करते हैं।इसी भावना व कामना के साथ प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर प्रत्येक प्राणी को सद्बुद्धि व ज्ञानरुपी प्रकाश प्रदान करे,जिससे वो ज्ञानरुपी प्रकाश के सागर में अपनी आत्मा को डुबोकर अपना आत्म कल्याण कर सके।
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