Nuh News : जिला में गोगा नवमी पर्व धूमधाम से मनाया गया

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Goga Navami festival was celebrated with great pomp in the district
गोगा नवमी पर भगवान गोगा जवाहरवीर बाबा को भोग लगाते हुए

(Nuh News) नूंह। जिला में मंगलवार को गोगा नवमी पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस दिन सांपों के देवता के रूप में भगवान जवाहरवीर गोगा महाराज की पूजा अर्चना की जाती है। लोग घरों में पकवान बनाकर पूजा अर्चना करते है। जिला के मंदिरों में मंगलवार को वीर गोगा जी जहावीर बाबा श्रीखाटूश्याम मंदिर, गरीब नाथ मंदिर, पंगल भगदजी मंदिर आदि अन्य जगहों पर पूजन अर्चना व भण्डारे का आयोजन हुआ। बाबा पंगल के मुताबिक आज भाद्रपद की नवमी तिथि है,जिसे लोग कृष्णा नवमी या गोगा नवमी कहते हैं। संतान सुख या संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए रखे जाना वाला ये पर्व मुख्य तौर पर राजस्थान व हरियाणा में मनाया जाता है।

गोगा जी का राजस्थान के एक गांव में बनी समाधी पर हर वर्ष की भांति इस बार भी लगे मेले में जिला व आसपास के क्षेत्रों से बडी तादाद में श्रद्वालूओं ने शिरकत की। यह मेला एक माह तक चलता है। गोगा जी लोक देवता है, जिन्हें लोग काफी मानते हैं,इन्हें वहां लोग जाहरवीर गोगा जी के नाम से पुकारते हैं। आज उनका जन्मदिवस है ,खास बात ये है कि जाहरवीर गोगा को हिंदू और मुस्लिम दोनों पूजते हैं। गोगा जी गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को प्रथम स्थान प्राप्त है। आज के दिन नाग देवता की मूर्ति पर भी दूध चढ़ाने की मान्यता है क्योंकि गोगावीर को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था। कहते हैं कि गोगाजी की मां बाछल देवी को काफी सालों तक जब कोई संतान नहीं हुई तब उन्होंने गुरू गोरखनाथ से प्रार्थना की वो उन्हें आशीष दें,जिससे उनकी झोली भर जाए। उस वक्त गुरू गोरखनाथ ,गोगामेडी के टीले पर तपस्या कर रहे थे, उन्होंने बाछल देवी का दुख देखा तब उन्होंने गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया। प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गईं और उसके बाद ही गोगाजी का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा।