(Nuh News) नूंह। जिला का ऐतिहासिक महत्व का छोटा शहर तावडू का 66 केवीए बिजली घर व आवासीय कॉलोनी कबाड़ गोदाम में तब्दील हो गई है। शहर के बीचों बीच बेशकीमती भूमि में बना बिजली घर व कॉलोनी अब पशुओं चराहगाह स्थली बन गई हैं। छह एकड़ की विशालतम भूमि में लाखों रूपये खर्च कर बने बिजली घर व कॉलोनी के करीब 29 बिजली फीडर, उप मण्डल अभियंता(बिजली) व कर्मचारियों आदि के आवास के लिए बनी कॉलोनी ने शुरूआती दौर में अच्छी खासी सुर्खियां बटोरी थी लेकिन एसडीओ आवास व कॉलोनी में अधिकारी-कर्मचारी न रहने से अब यह जगह आवारा पशुओं व कटीले जीव-जन्तुओं की शरणस्थली बन गई हैं।
शहर के बीचों बीच बेशकीमती भूमि में बना बिजली घर व कॉलोनी अब पशुओं चराहगाह स्थली बन गई हैं
करीब दो एकड भूमि में 66 केवीए बिजली घर बना हुआ हैं। जबकि, विभाग की खाली भूमि को अन्य इस्तेमाल में लाने के लिए जागरूक समाज द्वारा की गई पहल भी कथिततौर से जातिय मुददों पर ही उलझ कर रह गई। किसान नेता सुभाष चंद, मोहम्मद इलियास,चन्द्रप्रकाश, कार्यवाहक नम्बरदार खुर्शीद खान, रहीम खान, छोटू खान, इसराईल व कमल सिंह आदि सभी नम्बरदार आदि के अलावा सरपंच प्रतिनिधि रती खान आदि ने बताया कि तावडू का 66 केवीए बिजली घर व आवासीय कॉलोनी कबाड़ गोदाम में तब्दील हो गई है।
शहर के बीचों बीच बेशकीमती भूमि में बना बिजली घर व कॉलोनी अब पशुओं चराहगाह स्थली बन गई हैं। छह एकड़ की विशालतम भूमि में लाखों रूपये खर्च कर बने बिजली घर व कॉलोनी के करीब 29 बिजली फीडर, उप मण्डल अभियंता(बिजली) व कर्मचारियों आदि के आवास के लिए बनी कॉलोनी ने शुरूआती दौर में अच्छी खासी सुर्खियां बटोरी थी लेकिन एसडीओ आवास व कॉलोनी में अधिकारी-कर्मचारी न रहने से अब यह जगह आवारा पशुओं व कटीले जीव-जन्तुओं की शरणस्थली बन गई हैं।इस बारे में डीएचबीवीएन के एजीएम तावडू का कहना है कि 66 केवीए बिजली घर एचबीवीपीएन के अधीन हैं और वह ही इस बारे में बेहतर जानकारी मुहैया करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि 66 केवीए बिजली घर व कॉलोनी में फिल्हाल कोई अधिकारी-कर्मचारी नहीं रह रहे हैं।