Nuh News : महंगाई के दौर में विरासत में मिला पुश्तैनी कारोबार से मुख नहीं मोड़ा, पीढियों से बना रहे हैं दशहेरा के लिए पुतले

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During inflation, inherited Pushtaini is not facing the business, has been making dolls for Dussehra for generations
शहेरा के लिए रावण, कुम्भकरण व मेघनाद के लिए पुतले तैयार करते हुए

(Nuh News) नूंह। महंगाई के दौर में विरासत में मिला पुश्तैनी कारोबार से मुख नहीं मोड़ा हैं, ऐसे समय में जब संघर्ष व तनाव का सामना करने के बाद भी वह सामाजिक ताना बाना और भगवान श्रीराम के आदर्श से प्रेरणा लेकर अपने पुश्तैनी कारोबार के ऐतिहासिक सामाजिक रिश्तों को कायम करने की दिशा में और गति दे रहे हैं।

यहां, यह बताना जरूरी है कि पलवल की मोहन नगर कॉलोनी के स्व0 इतवारीलाल को विरासत में रावण, कुंभकरण व मेघनाद के पुतले बनाने की सामाजिक सेवा का कार्य विरासत में मिला था, उस काल में संसाधनों का अभाव होने के बावजूद वह इस सामाजिक सेवा में अपना दायित्व बाखूबी निभाया।

उनके स्वर्गीय होने के बाद उनके वारिस पुत्र स्व0 हरिसिंह ने पुश्तैनी काम में सेवाएं प्रारंभ कर दी और वर्ष में एक बार रामलीला मंचन के दौरान रावण,कुम्भकरण, मेघनाद आदि के पुतले बनाने का विभिन्न जगहों से आर्डर मिलने के बाद इसकी तैयारी में जुट जाते थे। उनके मरहूम होने के बाद स्व0 इतवारीलाल की तीसरी पीढ़ी देवीलाल को बतौर उतराधिकारी व नए वारिस बनने के बाद अपने पुश्तैनी कार्य में और बेहतर करने का प्रयास किया।

आधुनिक और महंगाई के युग में उनके द्वारा होडल, अटेली मंडी, हसनपुर, बंचारी, बल्लभगढ, तावडू समेत अन्य जगहों पर इन पुतलों के आर्डर को मूर्तरूप देने के लिए तैयारी में लग जाते हैं। देवीलाल के मुताबिक उनके भाई संजय भी इस सेवा में 7-8 दिन अपनी सहभागिता देते हैं। महंगाई के युग में लागत भी बढ़ी हैं जबकि, अब इस धंधे से उनकी मजदूरी तक नहीं निकल पाने के बावजूद सामाकि तानाबाना के मकसद से वह इस पुश्तैनी काम को कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा 70 फुट उंचाई के तैयार रावण के पुतले करीब ओसतन 70 हजार रू0 लागत में मजदूरी ही निकल पाती हैं लेकिन विरासत में मिले इस सामाजिक सेवा को समाजसेवा के जुनून से कर रहे हैं।