Nuh News : करीब तीन दशक से बारिश कम होने से करोड़ों रूपयों की लागत से जल संचय के लिए बने साधन अब नकारा साबित

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Due to less rainfall for almost three decades, the means built for water harvesting at the cost of crores of rupees are now proving useless.
जल संचय के लिए बने तालाब
(Nuh News) नूंह। सूबे के मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह(मेवात) में करीब तीन दशक से बारिश कम होने से करोड़ों रूपयों की लागत से जल संचय के लिए बने साधन अब नकारा साबित हो रहे हैं। इससे लगातार भूमिगत जल भी काफी नीचे चला गया है। जिलावासियों की माने तो बारिश के खिंचाव व जल संचय के लिए बने नहर,नाले, खाले, जोहड, तालाब, पोखर व अरावली के ईर्दगिर्द बनाये गये बांधों में करीब तीन दशक तक बारिश का पानी एकत्रित न हो पाने से इलाका भूमिगत जल 30 से 40 फुट नीचे चला गया हैं।
किसान काले खान, अरसद, असरफ, इमरान, नसीबा, अशोक, जुनेद,मुनफेद, सुभाष चंद, चन्द्रप्रकाश, सोनू, रामकिशन, दयाराम, लखपत, भूप सिंह, लीलू प्रधान, पूरन सिंह, श्यामलाल, घनश्याम,पदम सिंह, छोटू, होशियार सिंह, गोलू, धोलू, राजपाल, कालू व पप्पू उर्फ भगवान सिंह आदि समेत जिला के किसानों का कहना है कि किसी जमाने में जिला में मूसलाधार बारिश होने से पहाड़ नीचे के इलाके में जलभराव होने से उनके परिचित अपने पशु, चारा, खादय सामग्री व अन्य सामान पहाड ऊपर अपने परिचितों के यहां भिजवा देते थे।
इससे पहाड ऊपर का भूमिगत जल को भी काफी लाभ पहुंचता हैं, पहाड़ नीचे जलभराव बाढ़ के हालात बनने से सियासी लोगों के लिए भी यह समस्या मुददा बन जाती थी। समस्या के निवारण के लिए सरकार ने यहां नहर, नाले, तालाब व अन्य साधन भी बनवा दिये  थे लेकिन करीब तीन दशक का लम्बा समय से जिला में लगातार बारिश कम होने से भूमिगत जल काफी नीचे चला गया हैं तो वहीं, बारिश के पानी के संचय के लिए बनाये गये नहर, खाले, पोखर, ढहर,झील, बांध आदि में पानी संचय न हो पाने से अब यह नकारा साबित हो रहे हैं।इस बारे में जिला के भूमि विभाग के एएससीओ डा0 कुलदीप सिंह ने भी माना कि जिला में हर बार बारिश कम हो रही हैं। उन्होंने बताया कि जिला में ओसतन 300 एमएम बारिश होने की बात सामने आई हैं और साथ ही कहा कि 2005 से बारिश की कमी के आंकडे सामने आये हैं।