(Nuh News) नूंह। दीपावली पर्व के सामान की खरीददारी को लेकर जागरूक समाज व स्वंयसेवीं संस्थाओं से जुडे़ प्रमुख लोगों द्वारा क्षेत्रवासियों से विदेशी सामान की बजाये देश में निर्मित स्वदेशी सामान को अपनाने की वर्षों से निरंतर अपील की जा रही है। खासकर कुटीर उद्योगों से निर्मित सामग्री के इस्तेमाल व खरीददारी करने की जारी मुहीम का फिल्हाल दूर-दूर तक भी कोई असर नहीं दिखाई दे रहा हैं।
सूबे के मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह(मेवात) में भी दिवाली के मौके पर विदेशी लडि़यां, दीपक, साज-सज्जा के अलावा अन्य तैयार सामग्री की दुकानों के साथ-साथ सड़कों, गली-मोहल्लों व पटरी पर दुकानें सजी हैं। हांलाकि, दिवाली दीपोत्सव का पर्व हैं और जिला के मंदिरों, सार्वजनिक जगहों, गली-मोहल्लों, घरों-दुकानों में विजय दशमी(दशहेरा) पर्व के बाद से ही दिवाली पर्व की शुरूआत हो जाती हैं। घरों, दुकानों, गली -मोहल्लों व सार्वजनिक दुकानों आदि की साफ-सफाई, सजावट के साथ-साथ फूलों व लडि़यां आकर्षण का केन्द्र बन जाती है।
दीपक जलाने की भी परम्परा शुरू हो जाती हैं। लेकिन इन सब बातों के बावजूद अधिकांश श्रद्वालू कृत्रिम जगमगाहट से रोशनी को अधिक तरजीह देते हैं। जबकि, जिला का कुम्हार(प्रजापत) व अन्य समाज श्रमिक शारदीय नवरात्र के आगाज होने से ही छोटे-बडे दीये, घड़े आदि के साथ-साथ बदलते परिवेश में उनकों रंग भी रंगी लुक देकर एक विशेष साज सज्जा का रूप देते हैं। जिला के बाजारों, पटरी पर सजी दुकानों व गली मोहल्लों में बैठे दुकानदार दीपकों की बिक्री कर गुजर बसर का इंतजाम करते हैं। लेकिन अभी भी खरीददार देश में मिटटी से निर्मित सामग्री को खरीदने में अधिक तरजीह नहीं दे रहे हैं।
दुकानदार किशनलाल, बिमला, सुरेन्द्र प्रजापति, रज्जू, सुनिता,काले, पूजा, संगीता, भगवाना, गोला, पवन, महेश आदि ने बताया कि दीपावली पर्व के सामान की खरीददारी को लेकर जागरूक समाज व स्वंयसेवीं संस्थाओं से जुडे़ प्रमुख लोगों द्वारा क्षेत्रवासियों से विदेशी सामान की बजाये देश में निर्मित स्वदेशी सामान को अपनाने की वर्षों से निरंतर अपील की जा रही है। खासकर कुटीर उद्योगों से निर्मित सामग्री के इस्तेमाल व खरीददारी करने की जारी मुहीम का फिल्हाल दूर-दूर तक भी कोई असर नहीं दिखाई दे रहा हैं।
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