(Nuh News) नूंह। जिला की पंचायती, अरावली, वन व अन्य सरकारी महकमों की भूमि के अलावा ऐतिहासिक महत्व की प्राचीन धरोहर आदि पर निरंतर हो रहे कब्जों को लेकर शासन-प्रशासन की कथित मौन प्रवृति से लोगों में रोष व्याप्त है। शासन-प्रशासन, जिला के जनता दरबार, लोक परिवाद की मासिक बैठक व अभी हाल नायब सरकार द्वारा जिला व उप मण्डल मुख्यालय पर शुरू किये गये समाधान शिविरों में भी आ रही शिकायतों पर कोरे आश्वासनों के सिवाए कुछ नहीं मिल पा रहा हैं। जिलावासियों का आरोप है कि विधानसभा चुनाव करीब होने व कथित वोट की राजनीति के चलते इस पचड़े में कोई भी नहीं पडऩा चाहा रहा हैं। नप, नपा व ग्राम पंचायतों व जिला परिषद आदि से चुने गए जनप्रतिनिधि अपने वोट बैंक की खातिर ऐसी शिकायतों पर कोई कार्रवाई अमल में लाने की बजाये अवैध कब्जाधारक के बचाव में ढाल की तरह खड़े हो जाते हैं।
अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व सामाजिक नेता कामरेड काले खान के अलावा जनसेवक समाज के महासचिव व सामाजिक नेता वेदप्रकाश अदलखा, पृथ्वी प्रधान, राम सहाय, तावडू नपा के निवर्तमान उपाध्यक्ष कर्मसिंह उर्फ कल्लू, निवर्तमान पार्षद सुन्दरवती व अन्य जागरूक समाज द्वारा इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल, पंचायत मंत्री रहे देवेन्द्र बबली, निकाय मंत्री रहे डा0 कमल गुप्ता व मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आदि के अलावा जिला उपायुक्त, एसडीएम, डीडीपीओ व बीडीपीओ आदि तक को कई बार अलग-अलग दी गई शिकायतों पर कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा सकी हैं।
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि शिकायतों को ठण्डे बस्ते में डाला जा रहा हैं और साथ ही कहा कि यदि समय रहते उन पर कोई कार्रवाई अमल में न लाई जाने से यह समस्या विकराल रूप धारण कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि जैसे मनोहर सरकार के कार्यकाल में नप, नपा की स्वामित्व योजना के तहत लाखों की सम्पत्ति को कारणवश हजारों में देना सरकार की मजबूरी बनने की बात जग जाहिर हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि, रास्तों, गली-मोहल्लों व मुख्य सडकों आदि पर हो रहे कब्जे वाली बेशकीमती भूमि पर कार्रवाई की बजाये उसे भी सरकार औने-पौने दामों में अलाट कर सकती हैं।
इस बारे में जिला मुख्यालय नूंह के उप मण्डलाधीश विशाल कुमार से सम्पर्क करने पर बताया गया कि साहब मिटिंग में हैं और वह ही इस बारे में बता पायेंगे, जबकि, नूंह नप के कार्यकारी अभियंता से भी सम्पर्क करने पर बताया गया कि वह भी कार्यालय से बाहर हैं, जबकि उनके मोबाईल फोन करने पर घण्टी तो दनदनाती रही लेकिन जवाब न मिल पाने से उनका तर्क संगत नहीं हो सका है।