Nuh News : नूंह विधानसभा सीट को लेकर सभी दलों की निगाहें, कांग्रेस सबसे मजबूत उभर कर आई, भाजपा लगा रही है जोर

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All parties have their eyes on Nuh assembly seat, Congress has emerged the strongest, BJP is putting emphasis on
कांग्रेस व भाजपा के पार्टी ध्वज

(Nuh News) नूंह। प्रदेश के जिला नूंह(मेवात)की मुस्लिम बाहुल्य सीट नूंह, पुन्हाना व फिरोजपुर झिरका पर कांग्रेस ने अपने विधायकों को फिर से टिकट देकर मैदान में उतार दिया हैं, जबकि वह अपनी सीट पक्की मानकर लम्बे समय से जनता के बीच जाकर चुनाव प्रचार में लगे हुए है। मेवात कभी इनेलो का गढ रहा था और मेवाती पूर्व उप प्रधानमंत्री जगत ताऊ देवीलाल की नीतियों को मानता था और यहां कांग्रेस को इनेलो का दुर्ग ढहाने में काफी मेहनत करनी पड़ी, जबकि भाजपा ने आज तक यहां जीत का स्वाद नहीं चखा है। जिला मुख्यालय नूंह सबसे हॉट सीट मानी जाती है। यहां पर ज्यादातर पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री मरहूम चौ0 खुर्शीद अहमद परिवार का दब दबा रहा है।

यहां केवल दो ही परिवारों के बीच जोर आजमाइश रही।

1967 के विधानसभा चुनावों के नूंह विधानसभा से चौधरी रहीम खान ने पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और वह चुनाव जीत गए। यहां केवल दो ही परिवारों के बीच जोर आजमाइश रही। जहां रहीम खान तीन बार निर्दलीय विधायक बने जबकि खुर्शीद अहमद दो बार विधायक रह चुके है। 2005 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार हबीबुर्रहमान ने बाजी मारी जबकि 2014 में नूंह की यह सीट आईएनएलडी के खाते में चली गई। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जाकिर हुसैन को उम्मीदवार बनाया, जिसमे वह कांग्रेस के प्रत्याशी आफताब अहमद से हार गए। नूंह सीट पर पहले गोत्र व पाल की राजनीति हावी रहती थी लेकिन अब ऐसा नही है। सन 1972 में सबसे पहले चौ0 रहीम खां यहां से विधायक बने थे, इसके बाद इसके बाद सन 1977 में सरदार खां, 1982 में फिर चौधरी रहीम खां, 1987 में चौ0 खुर्शीद अहमद, 1991 में चौधरी मुहम्मद इलियास, 1996 में चौ0 खुर्शीद अहमद, 2000 में हामिद हुसैन, 2005 में हबीब उर रहमान, 2009 में आफताब अहमद, 2014 में जाकिर हुसैन, 2019 में आफताब अहमद इस सीट से विजयी रहे हैं। वर्तमान की स्थिति देखे तो नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद को कांग्रेस ने 2005 से लगातार 2014 तक मैदान में उतारा है।

उन्होंने ने भी दो बार कांग्रेस की झोली में सीट को डाला हैं। इस बार चुनावी समीकरण देखे तो वह तीसरी बार भी इस सीट पर सबसे मजबूत दिखाई दे रहे हैं। उनकी मजबूती देखकर अभी तक भाजपा, इनेलो-बसपा, जजपा-एएसपी, आप आदि किसी भी दल ने अपने प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारे हैं। कुछ वर्षों से मेवातियों ने गोत्र-पाल की राजनीति को खत्म कर दिया हैं और अपनी पाल के नेताओं को भी हराकर भेजा है। अगर बात करें तो गत चुनाव 2019 में तो कांग्रेस के आफताब अहमद को 52311, दूसरे स्थान पर भाजपा के जाकिर हुसैन को 48273, जजपा के तैयब हुसैन को 17745 मत मिले थे।

वहीं, अपुष्ट सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस बार कांग्रेस तीनों सीटों पर मजबूत दिखाई देने से व मेवातियों द्वारा भाजपा से दूरी बनाने पर वह यहां के हिन्दु वोट को साधने का काम कर सकती है और तीनों सीटों से हिन्दु प्रत्याशियों को मैदान में उतार सकती है। आरएसएस की टीम भी इसमें अपनी सहभागिता जुटा रही है। रविवार को हिन्दु संगठनों की इसके लिए बैठक भी आयोजित हुई है। भाजपा मेवात में कमल खिलाने के लिए एक मिशन पर लगी हैं जिसके लिए वह एक दशक से मेवातियों का विशेष ध्यान रख रही हैं लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले वोट के बाद भाजपा को बात समझ में आने लगी है और वह इस सीटों पर अपनी रणनीति बदल कर काम करने में लगी है।