(Nuh News) नूंह। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व उनकी झुंडली के मंत्रियों के सत्तासीन होने के बाद से सरकार एक्शन मोड़ में नजर आ रही हैं खासकर विकास कार्यो, सरकारी कार्यालयों में बैठे कथिततौर से लापरवाह अधिकारियों-कर्मचारियों के कामकाज में बदलाव के मामलें में भी एक्शन में हैं।
शहर व ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के लिए नगर परिषद, नगर पालिका व खण्ड एवं पंचायत कार्यालयों में सभी कार्यदिवस के दौरान 9 से 11 समाधान शिविर लगाकर लोगों की समस्या के समाधान के बात पर भी जोर दिया जा रहा हैं। लेकिन गांव-समाज व सरकार के बीच सेतू के तौर पर कार्य कर रहे पत्रकारों के मामलें में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व उनकी झुंडली के मंत्री, विधायकों आदि के अलावा पार्टी संगठन की चुप्पी से पत्रकार समाज में मायूसी हैं। जबकि पत्रकारों केा भाजपा सरकार के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से अच्छी खासी उम्मीद थी।
हांलाकि, चुनाव से पूर्व सभी सियासी दलों ने लोगों के लिए अनेक योजनाएं चलाने व उन्हें लाभ पहुंचाने की ताबड़ तोड़ घोषणाएं की थी लेकिन किसी भी सियासी दल ने पत्रकारों की समस्यांए व उनके लाभार्थ कोई भी घोषणा नहीं की। जिला नूंह(मेवात) प्रेस क्लब(पंजी0) के जिला अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दुआ, महासचिव वेदप्रकाश, पत्रकार संजय गुप्ता, राकेश कुमार, सोनू वर्मा, सुरेन्द्र माथुर, राजीव गर्ग, ललित जिंदल, मयंद मोहन, कृष्ण कुमार व मनीष कुमार आदि का कहना है कि पत्रकार कहने को तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और शासन-प्रशासन के बीच एक सेतू के तौर पर कार्य करता है खासकर मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह(मेवात) में संसाधनों के अभाव के बावजूद अपने दायत्वि को पूरी निष्ठा से निभा रहा हैं।
सूबे में अब तक रही सरकारों ने पत्रकारों को छोडकर अन्य सभी को सरकार की योजनाओं का लाभ देने का कार्य किया हैं और 2014 में भाजपा में मनोहरलाल खटटर के नेतृत्व वाली सरकार ने पत्रकारों की पेंशन स्कीम को तो लागू करने के अलावा कुछ बढोतरी भी की गई, लेकिन सूबे के पत्रकार संगठनों द्वारा पत्रकारों के हितार्थ अन्य डिमांड व घोषणाओं को पूर्ण करने से सरकार ने फिल्हाल पत्रकारों से दूरिया बना रखी हैं लेकिन इसके बावजूद पत्रकार पूरी निष्ठा से अपना दायित्व निभा रहे हैं।
प्रधान के अनुसार बदलते दौर में पत्रकारों को कवरेज के लिए अपने स्टेशन के साथ-साथ आस पास क्षेत्र की खबरों के लिए भी दौड धूप करनी पड़ रही है लेकिन इस बीच जगह-जगह लगे टोल प्लाजा की सबसे अधिक मार पत्रकारों पर पड़ रही हैं। प्लाजा प्रबंधन पत्रकारों को राहत व लेन छूट देने की बजाये फास्टटैंग से उन पर दोगुना टोल वसूल रही हैं। पत्रकारों के द्वारा गांधीगिरि से राहत देने की फरियाद भी बेअसर ही साबित हो रही हैं और अकसर टोल प्रबंधन के दबंग पत्रकारों को प्रताडित करने से भी गुरैज नहीं कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें: Mahendragarh News : गांव मोहनपुर में लगा निःशुल्क आयुर्वेदिक स्वास्थ्य जांच शिविर