नई दिल्ली। दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा देश में अपनी तरह की पहली व्यवस्था लेकर आया है. व्यक्ति से व्यक्ति की दूरी और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने लिए अब दिल्ली हवाई अड्डे पर कार्गो टर्मिनलों में प्रवेश करने के लिए एक क्यूआर.कोडेड ई.गेट पास प्रदान किया जाएगा। इससे समय औरअन्य व्यवस्थाओं से बचाव के साथ माल की डिलीवरी में तेजी लाने में मदद मिलेगी। डीआईएएल के प्रवक्ता ने कहा कि नई कागज रहित और संपर्क रहित सुविधा है. जो मालवाहक टर्मिनलों पर लोगों को कम करने के उद्देश्य से है। यह न केवल प्रक्रिया में अधिक दक्षता लाएगा।बल्कि इससे कागजी कार्रवाई भी कम होगी।
पहले की प्रणाली में कार्गो क्लियरिंग एजेंटों को विभिन्न दस्तावेज दिखाने प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था और गेट पास जारी करने के लिए कार्गो टर्मिनल पर सम्बंधित खिड़कियों पर कतारों में खड़ा होना पड़ता था। इस नई प्रणाली के साथ एयरलाइंस का प्रयोगकर्ताओं को फ्रेट फारवर्डर कस्टोडियन सिस्टम में मास्टर एयरवे बिल या हाउस एयरवे बिल की स्कैन की हुई कॉपी अपलोड करनी होगी।
इस व्यवस्था में बिल ऑफ एंट्री और आउट ऑफ चार्ज को कस्टम्स सिस्टम द्वारा कस्टोडियन सिस्टम को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजा किया जाएगा। इन विवरणों के साथए कस्टम ब्रोकर एजेंट माल की डिलीवरी के लिए ई.गेट पास जारी करने के लिए आवेदन करना होगा और अपने कोड पर क्यूआर कोड भरना होगा । कार्गो टर्मिनल ऑपरेटर द्वारा उचित सत्यापन के बाद ही आगे की गतिविधि होगी
दिल्ली हवाई अड्डे के दो एकीकृत कार्गो टर्मिनल हैं और एयरसाइड में एक ट्रांस.शिपमेंट केंद्र है। ये टर्मिनल सालाना १ से ८ मिलियन टन से अधिक कार्गो को संभाल सकते हैं. जिसे 2ण्3 मिलियन टन तक बढ़ाया जा सकता है।
वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार वंदना अग्रवाल ने कहा इस .गेट पास सुविधा की शुरुआत से हवाई अड्डे पर आपूर्ति श्रृंखला के डिजिटलीकरण को मजबूत करने में मदद मिलेगी और इसके अलावा एयर कार्गो समुदाय द्वारा सेवाओं के समय पर वितरण को संचालित करने के साथ.साथ सामाजिक दूरी का पालन किया जाएगा। यह नई प्रवेश शैली नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहयोग से सभी कार्गो हितधारकों द्वारा शुरू की गई है।