राजस्थान में अब कैबिनेट फेरबदल पर कांग्रेस हाईकमान ही लेगा फाइनल फैसला

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आज समाज डिजिटल

जयपुर। पंजाब कांग्रेस में कलह खत्म होने के बाद अब राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है। राजस्थान में कैबिनेट विस्तार और फेरबदल की सुगबुगाहट के बीच कहा जा रहा है कि कैबिनेट फेरबदल पर अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान ही करेगा। पार्टी सूत्रों ने कहा कि राजस्थान में कैबिनेट फेरबदल के मुद्दे पर अंतिम फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ दिया गया है और माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में गहलोत सरकार का विस्तार होगा। राजस्थान में तेज हुई सियासी हलचल के बीच कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और अजय माकन शनिवार को राजस्थान पहुंचे। वेणुगोपाल और माकन ने शनिवार देर रात राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ उनके आवास पर कैबिनेट फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों के मुद्दों पर चर्चा की।

बता दें कि अगले कुछ दिनों में कैबिनेट विस्तार होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि चर्चा के बाद नेताओं ने कैबिनेट फेरबदल को लेकर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया। सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वेणुगोपाल, अजय माकन और अशोक गहलोत के बीच यह बैठक करीब ढाई घंटे तक चली, जिसके दौरान कैबिनेट फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों पर चर्चा हुई। फेरबदल के बारे में अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया गया है। दरअसल वर्तमान में मुख्यमंत्री सहित अशोक गहलोत मंत्रिपरिषद में 21 सदस्य हैं और नौ पद अब भी खाली हैं। बता दें कि राजस्थान में अधिकतम 30 मंत्री हो सकते हैं। पंजाब के बाद पार्टी आलाकमान का अब पूरा फोकस राजस्थान पर ही है, जहां पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के नेतृत्व वाले खेमे में नाराजगी की खबरों के बाद कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की मांगों ने गति पकड़ी है। बता दें कि पिछले साल 18 विधायकों के साथ सचिन पायलट ने गहलोत के नेतृत्व का विद्रोह किया था। तीन दिन पहले सचिन पायलट ने संकेत दिया था कि कांग्रेस उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए जल्द ही उचित कदम उठाएगी। उन्होंने कहा था कि वह अपने द्वारा उठाए गए मुद्दों पर पार्टी आलाकमान के संपर्क में हैं और उम्मीद है कि जल्द ही आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

बता दें कि गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने के बाद सचिन पायलट को पिछले साल जुलाई में उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। एक महीने के लंबे राजनीतिक संकट के बाद पार्टी आलाकमान ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को देखने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने की घोषणा की थी। पिछले महीने सचिन पायलट खेमे के विधायकों ने कहा था कि पार्टी को पिछले महीने पायलट से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए, जिसके बाद कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की मांग तेज हो गई। सूत्रों ने बताया कि शनिवार की रात हुई बैठक के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि विभिन्न बोर्डों और निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां निर्वाचित जनप्रतिनिधियों, राज्य पदाधिकारियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की चर्चा और आम सहमति से जल्द ही होनी चाहिए। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कांग्रेस की घोषणा पत्र समिति राजस्थान के पार्टी घोषणापत्र के कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा के लिए एक बैठक करेगी।