40 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों के लिए 18 साल की ऊपरी आयु सीमा में दी गई छूट

Punjab Breaking News (आज समाज), चंडीगढ़ : प्रदेश के दिव्यांग बच्चों के परिजनों को पंजाब सरकार ने विशेष राहत देते हुए उन्हें चाइल्ड केयर लीव का लाभ देने की शुरुआत की है। इस संबंधी जानकारी देते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बच्चों की विशेष जरूरतों का लंबे समय तक देखभाल करने वाले माता-पिता को आवश्यक लचीलापन और अतिरिक्त सहायता प्रदान करते हुए आज पंजाब सरकार के चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) के प्रावधानों में महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि माता-पिता अपने कामकाज के साथ समझौता किए बिना अपने बच्चों की भलाई के लिए आवश्यक समय समर्पित कर सकें।

इसलिए किया गया संशोधन

यहां जारी एक प्रेस बयान में इस संबंधी जानकारी देते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि ये संशोधन कामकाजी अभिभावकों, विशेष रूप से बच्चों की देखभाल की विशेष चुनौतियों का सामना कर रहे माता-पिता की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पहले चाइल्ड केयर लीव नीति केवल 18 साल से कम उम्र के नाबालिग बच्चों वाली महिला सरकारी कर्मचारियों के लिए थी। उन्होंने कहा कि हालांकि इस सुविधा ने कामकाजी माताओं को आवश्यक सहायता प्रदान की है, लेकिन यह सुविधा विभिन्न पारिवारिक ढांचों और विशेष चुनौतियों का सामना करने वाले एकल पिता और गंभीर अपंगता वाले बच्चों के माता-पिता को दरपेश चुनौतियों के लिए अपर्याप्त थी।

सीसीएल में दो अहम बदलाव किए गए

वित्त मंत्री ने कहा कि इन खामियों को पहचानते हुए पंजाब सरकार ने मौजूदा सीसीएल प्रावधानों में दो महत्वपूर्ण संसोधन पेश किए हैं। उन्होंने कहा कि पहला यह कि चाइल्ड केयर लीव का लाभ अब एकल पुरुष अभिभावकों को दिया गया है, जिसमें वे व्यक्ति जिनकी पत्नी का निधन हो गया हो, तलाकशुदा पिता और अविवाहित पिता शामिल हैं और दूसरे संशोधन के तहत सरकार ने गंभीर अपंगता वाले 40 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों के लिए 18 साल की ऊपरी आयु सीमा में छूट दी है।

इन बच्चों के परिजनों को मिलेगा लाभ

वित्त मंत्री ने आगे बताया कि उन बच्चों के माता-पिता जो सेरेब्रल पाल्सी, मस्कुलर डाइस्ट्रॉफी, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल डिसआॅर्डर्स, गंभीर और गहरी बौद्धिक असमर्थता, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और मल्टीपल डिसएबिलिटीज जिनमें बहरापन और अंधापन शामिल है, आदि को दरपेश चुनौतियों का सामना करने में सहायता करेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रगतिशील प्रयास के तहत बच्चों की देखभाल में पिता की अहम भूमिका को भी स्वीकार करते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है कि उन्हें माता-पिता के फर्जों के साथ उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों को संतुलित करने में सहायता मिले।

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