इशिका ठाकुर, करनाल:
करनाल पहुँचे किसान नेता गुरनाम सिह चढूनी ने कहा अब रेलवे ट्रैक नहीं.. नेशनल हाइवे होगा जाम, मोहड़ा अनाजमंडी अम्बाला में करेंगे रोड जाम।
करनाल किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि 24 नवंबर तो रेलवे ट्रैक की बजाए नेशनल हाइवे को जाम किया जाएगा। अगर इस दौरान सरकार किसानों की मांगों को मान लेती है तो नेशनल हाइवे जाम नहीं किया जाएगा बल्कि सम्बधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। ये बातें भारतीय किसान यूनियन (चढूनी ग्रुप) के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने जाट भवन में कही। किसानों के रोड जाम करने के ऐलान से शासन-प्रशासन में हडक़ंप मचा हुआ है।
किसान नेताओं में नाराजगी है कि सरकार ने जो वायदें किए थे, वे पूरे नहीं किए है। जो आने वाले दिनों में किसानों के लिए परेशानी साबित होंगे। सरकार जानबूझ कर किसानों को सताने का प्रयास कर रही है। अभी तक किसानों के ऊपर दर्ज मामले रद्द नहीं किए गए जबकि उन्हें अनट्रेस दिखाया जा रहा है, जो गलत है। इसे सहन नहीं किया जाएगा। किसान आंदोलन के 2 साल पूरे होने पर अम्बाला के मोहड़ा अनाजमंडी के पास नेशनल हाइवे को जाम किया जाएगा।
गुरनाम सिंह चढऩी, प्रदेशाध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन ने कहा, किसान आंदोलन के 2 साल पूरे होने पर अम्बाला के मोहड़ा अनाजमंडी के पास नेशनल हाइवे को जाम किया जाएगा। 24 नवंबर के दिन किसान मोर्चा तोड़ता हुआ दिल्ली गुंज कर गए थे। उन्होंने कहा कि इस दिन सर छोटू राम जयंती भी है, जनसभा के बाद किसान रेलवे ट्रैक की बजाए रोड जाम करेंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने किसान आंदोलन के दौरान 294 केस दर्ज किए थे, इनमें 32 केस किसान आंदोलन के पहले दर्ज किए गए थे। इनमें से 163 केस को या तो अनट्रेस दिखाकर या अन्य वजहों से निपटारा दिखाया जा रहा है बाकि पैंडिंग पड़े है। उन्होंने कहा कि अनट्रेस मामले दिखाने के पीछे मकसद है कि इन केसों को सरकार कभी भी खोल सकती है।
उन्होंने कहा कि इन केसों में किसानों के नाम दर्ज है, फिर अनट्रेस क्यों दिखाए जा रहे है। सरकार को चाहिए कि जिन अधिकारियों ने ऐसा किया है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि 24 नवंबर को रोड जाम करने का ऐलान है, अगर सरकार किसानों की बातों को मान लेती है तो किसान केवल ज्ञापन देंगे। उन्होंने कहा कि ये आंदोलन किसान संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर न करके भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के बैनर तले किया जाएगा। क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चा धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, ये दिल्ली में चल रहे तीन कृषि कानूनों के खत्म होने के लिए बनाया गया था। अब जबकि 3 कृषि कृषि कानून खत्म हो चुके है तो संयुक्त किसान मोर्चा भी लगभग खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि अगर कोई यूनियन इस आंदोलन से जुडऩा चाहती है तो उसका स्वागत है।
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