प्रदेश कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने विभाग को एक महीने के भीतर पोर्टल विकसित करने के निर्देश
Punjab News Update (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब सरकार किसानों की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत्त है। इसके लिए सरकार लगातार नए कदम उठा रही है। इन्हीं कदमों में से एक है प्रदेश के किसानों को नकली बीजों से बचाना। इस संबंधी जानकारी देते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुंड्डिया ने कहा कि प्रदेश सरकार जल्द ही राज्य में गैर-प्रमाणित बीजों की बिक्री और खरीद पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है।
इसके लिए कृषि मंत्री ने विभाग को धान बीजों की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग के लिए एक महीने के भीतर आॅनलाइन पोर्टल विकसित करने के निर्देश दिए हैं। यह पोर्टल पंजीकृत बीज उत्पादकों को बीजों की खरीद, बिक्री और मात्रा समेत धान बीजों से संबंधित हर लेन-देन का विस्तृत विवरण दर्ज करने के लिए अनिवार्य करेगा। इससे डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखने के साथ-साथ बीज आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
कृषि मंत्री ने अधिकारियों और शैलर मालिकों से की बैठक
गुरमीत सिंह खुड्डियां ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) अनुराग वर्मा और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पी.ए.यू.) के उप-कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल के साथ आज अपने कार्यालय में शैलर मालिकों, कृषि, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। कृषि मंत्री ने कहा कि यह पहल किसानों के हितों की रक्षा और पंजाब के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दशार्ती है। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य के किसानों को पी.ए.यू. द्वारा अनुशंसित उच्च गुणवत्ता वाले धान बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ बीज आपूर्ति श्रृंखला की कड़ी निगरानी करें।
नकली और गैर प्रमाणित बीजों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी
कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी को भी नकली और गैर-प्रमाणित धान बीजों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि इससे फसल उत्पादन में कमी आती है और किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि ऐसे गैर-प्रमाणित बीजों में अक्सर जेनेटिक और रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होती है, जिससे फसल की वृद्धि रुक जाती है, अनाज उत्पादन घट जाता है और फसल की कीट एवं बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इसके अलावा, यह धान से चावल तैयार करने की प्रक्रिया में भी बाधा डालता है और शैलर उद्योग के लिए समस्याएं खड़ी करता है, जिससे चावल और समग्र कृषि उत्पादन के बाजार मूल्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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