आज समाज डिजिटल, Noida: नोएडा से 81 वर्षीय एक बुजुर्ग स्केच आर्टिस्ट को गिरफ्तार किया गया है। उस पर 17 साल की नाबालिग लड़की के साथ डिजिटल रेप का आरोप है। नाबालिग लड़की उसके कर्मचारी की बेटी है, जो लगभग 7 साल से उसके साथ रह रही है। नोएडा की ये घटना डिजिटल रेप के बारे में कई सवाल खड़े कर गई है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण और ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल है कि ये डिजिटल रेप है क्या? तो आइये हम भी जानते हैं कि ये रेप है क्या?
डिजिटल रेप क्या है?
डिजिटल रेप के बारे में कई धारणाएं हैं। इस संबंध में अधिकतर लोगों के जहन में गलत धारणाएं घर कर गई हैं। इस बारे में आम धारणा यह है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील फोटो या वीडियो से ऐसा होता है। जो कि सही नहीं है। इसका एक अर्थ बनाए गए आर्गन के अलावा किसी शरीर अंग या सामान जैसे उंगली, अंगूठा या किसी वस्तु से सेक्स करना। डिजिट का एक अर्थ होता है अंक। साथ ही उंगली, अंगूठा, पैर की उंगली जैसे शरीर के अंगों को भी डिजिट कहा जाता है। यानी कि जो यौन उत्पीड़न डिजिट के माध्यम से किया गया वह डिजिटल रेप कहलाता है।
रेप और डिजिटल रेप में अंतर
रेप और डिजिटल रेप में सीधा फर्क है बनाए गए आर्गन के इस्तेमाल का। हमारे देश में कानून की नजर में रेप और डिजिटल रेप में कोई अंतर नहीं है। दोनों को एक ही नजर से देखा जाता है। यदि बात करें वर्ष 2012 की तो इससे पहले डिजिटल रेप को छेड़छाड़ के दायरे में लेते थे, लेकिन निर्भया केस के बाद इसे रेप की कैटेगरी में जोड़ दिया गया। तभी से लोगों की नजर में भी इसे अलग तरह से देखा जाने लगा।
रेप की परिभाषा 2012 से पहले और बाद में
दिसंबर 2012 में दिल्ली में निर्भया केस के बाद यौन हिंसा से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई। हमारे पूर्व चीफ जस्टिस मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी बनी। इस कमेटी ने गहन अध्ययन के बाद सुझाव भी दिए। इनमें से कई को अपनाते हुए दशकों पुराने कानून को बदला गया। 2013 में रेप की परिभाषा को फोर्स्ड पीनो-वजाइनल पेनिट्रेशन से बढ़ाया गया। नई परिभाषा जुड़ने के बाद से ही महिला के शरीर में किसी भी चीज या शारीरिक अंग को जबरदस्ती डालना रेप माना गया।
2013 से पहले डिजिटल रेप के केस
दो साल की मासूम से डिजिटल रेप
मुंबई में खून से लथपथ 2 साल की मासूम को अस्पताल लाया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने पाया कि उसके गुप्तांग में उंगलियों के निशान हैं। इस दौरान यौन उत्पीड़न या रेप के कोई संकेत नहीं मिले। बाद में पता चला कि उसका पिता ही बच्ची के साथ ऐसी हरकत करता था। इसके बाद उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। उसे सेक्शन 376 के तहत दंडित या आरोपित नहीं किया गया जो रेप से संबंधित है।
60 साल की महिला से डिजिटल रेप
दिल्ली की ही एक घटना के अनुसार एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने एक 60 वर्षीय महिला के साथ डिजिटल रेप किया। 60 वर्षीय महिला अपने एक रिश्तेदार के यहां ऑटो में बैठकर शादी समारोह में शामिल होने जा रही थी। इस दौरान आटो ड्राइवर ने महिला के गुप्तांग में रॉड डाल दी। एक बार फिर से ड्राइवर को तो गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन सेक्शन 376 के तहत उसे दोषी नहीं ठहराया।
बाद में हुआ इस धारा में बदलाव
मुंबई और दिल्ली में हुई इन 2 डिजिटल रेप की घटनाओं ने आईपीसी के सेक्शन 376 की खामियों को उजागर किया। जो रेप से संबंधित हैं, क्योंकि डिजिटल रेप के तहत हुए अपराध में जिसमें मूल रूप से उंगलियों या किसी बाहरी वस्तु या मानव शरीर के किसी अन्य हिस्से का यूज कर महिला की गरिमा के साथ खिलवाड़ किया था, लेकिन इसे किसी भी सेक्शन के तहत अपराध नहीं माना गया। इसी के बाद रेप की परिभाषा में बदलाव कर डिजिटल रेप को भी इसमें शामिल किया।