- शाम को अधिकारियों और किसानों के बीच हुई सुलह
- एक सप्ताह का अल्टीमेटम देकर लौट गए किसान
(Noida News)नोएडा। गौतमबुद्धनगर के किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान के बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारी दिन भर परेशान रहे। हालांकि शाम होते- होते उन्हें मेहनत का परिणाम भी मिल गया। अधिकारी किसानों के दिल्ली कूच को रोकने में फिलहाल कामयाब हो गए हैं। किसान सोमवार शाम को सात दिन का अल्टीमेटम देते हुए महामाया फ्लाईओवर से लौट गए। बता दें कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्रभावित किसान अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं।
तमाम संगठनों एक प्लेटफार्म पर आकर संयुक्त मोर्चा का गठन किया है। संयुक्त मोर्चा की ओर से ही 2 दिसंबर को दिल्ली कूच की घोषणा की गई थी। दिल्ली कूच के लिए सभी किसानों ने महामाया फ्लाईओवर को मीटिंग पाइंट बनाते हुए एक साथ मिलकर दिल्ली कूच करने की बात कही थी।किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान पर पुलिस प्रशासन पहले ही सतर्क था। रविवार को रूट डायवर्जन प्लान तैयार कर लिया गया था ताकि किसानों के दिल्ली कूच से आम यात्रियों को जाम में न फंसना पड़े।
दोपहर तक महामाया फ्लाईओवर के नीचे हजारों की संख्या में किसान पहुंच गए थे
हालांकि नोएडा से दिल्ली की ओर जाने वाली तमाम सड़कों पर सोमवार की सुबह से ही जाम की स्थिति नजर आने लगी थी। दूसरी ओर पुलिस ने किसान नेताओं के घरों पर रात से ही छापेमारी शुरू कर दी थी ताकि उन्हें नजरबंद किया जा सके। हालांकि तमाम किसान नेता अपने घरों पर नहीं मिले, लेकिन कुछेक को पुलिस ने डिटेन जरूर कर लिया था। दोपहर तक महामाया फ्लाईओवर के नीचे हजारों की संख्या में किसान पहुंच गए थे।
दस साल से सर्किल रेट नहीं बढाए गए हैं और न ही भूमि अधिग्रहण कानून का लाभ किसानों को मिल रहा है
नोएडा – दिल्ली की सीमा पर पुलिस ने भारी बेरिकेडिंग कर दी थी। एक बार किसान यह बेरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ भी गए थे लेकिन फिर अधिकारियों के साथ वार्ता हुई और समझौता इस बात पर हो गया कि एक सप्ताह तक मांगें न मानी गईं तो किसान फिर दिल्ली कूच करेंगे। किसानों की मांग है कि हाईवे के लिए जब गोरखपुर में चार गुना मुआवजा दिया जा रहा है तो गौतमबुद्धनगर के किसानों को क्यों इससे वचिंत रखा जा रहा है। दस साल से सर्किल रेट नहीं बढाए गए हैं और न ही भूमि अधिग्रहण कानून का लाभ किसानों को मिल रहा है। इसके अलावा किसानों की यह भी मांग है कि प्राधिकरण उनकी अधिग्रहीत जमीन की दस विकसित भूमि किसान को दे।
किसानों को रोकने के लिए चिल्ला बार्डर पर नोएडा पुलिस के तीन हजार और दिल्ली पुलिस के दो हजार जवान तैनात किए गए थे। पुलिस ने बेरिकेडिंग के जरिए दिल्ली पहुंचने का खूब प्रयास किया लेकिन किसानों ने भी पूरी चुनौति दी। किसान संसद भवन पर जाकर प्रदर्शन करना चाहते थे।
पुलिस ने दलित प्रेरणा स्थल पर मजबूत घेराबंदी की थी, लेकिन किसानों ने यह घेराबंदी तोड़ दी और आगे बढ़ गए, लेकिन एक के बाद एक तीन बेरिकेडिंग लगाई गई थीं, किसान वहीं बैठ गए और करीब चार घंटे तक ब्लॉकेज की स्थिति बनी रही, किसान और पुलिस आमने सामने आ गए। किसानों को रोकने के लिए पीएसी भी लगाई गई थी। अधिकारी वार्ता कर किसानों को समझाने में लगे थे और शाम होते- होते किसान मान भी गए। किसानों से वार्ता के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों को भी मौके पर बुलाया गया थाद्घ किसानों का कहना है एक सप्ताह की मोहलत दी गई है, मांगें नहीं मानी गईं तो फिर दिल्ली कूच करेंगे।
सुप्रिया श्रीनेत किसानों के समर्थन में पहुंचीं
इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता किसानों के समर्थन में सड़क पर नजर आईं, उन्होंने नोएडा गेट पर खड़े होकर रिपोर्टिंग की और ट्वीट भी किया कि दिल्ली बार्डर पर बेरिकेडिंग, वाटर कैनन, दंगा नियंत्रण गाडियां और अमित शाहकी पुलिस तैनात है, क्योंकि किसान भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा और फसल के सही दाम की मांग को लेकर दिल्ली आकर सोती सरकार को जगाना चाहते हैं। सुप्रिया श्रीनेत ने आगे लिखा है कि देश की राजधानी किसी की बपौती तो नहीं है। फिर किसान क्यों नहीं आ सकते? उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी किसानों पर बर्बरता के नए आयाम रच रहे हैं,इनके दिल में अन्नदाताओं के लिए रत्ती भर भी सम्मान नहीं है।