यमुना-घग्गर के 38 फीसदी कैचमेंट एरिया में पीने लायक नहीं पानी

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निरंतर खराब हो रही पानी की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवाल
इंडस्ट्री वाले जिलों में दोनों नदियों का पानी ज्यादा खराब
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
यमुना और घग्गर नदी न केवल सांस्कृतिक रूप से, बल्कि हर तरह से हरियाणा के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। एक तरह से कहें तो बड़े पैमाने पर प्रदेश के एक बड़े हिस्से के लिए ये लाइफ लाइन का काम करती हैं। न केवल खेती में, बल्कि पीने के पानी के रूप में भी ये अहम स्रोत हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं, क्योंकि इन दोनों नदियों के आस-पास लगते बहुत से इलाकों या कहें कि चिन्हित किए गए प्वाइंट्स पर अब पानी पीने लायक नहीं रहा। नदियों के कैचमेंट एरिया में भूमिगत पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए चिन्हित किए गए करीब 38 से 40 फीसदी ऐसे प्वाइंट्स हैं जहां साफ-साफ लिखा है कि यहां का पानी पीने लायक नहीं है। दोनों नदियों के पानी की मॉनिटरिंग को लेकर चिन्हित किए हुए 153 प्वाइंट्स में 59 जगह पानी को पीने लायक नहीं माना गया क्योंकि इसकी गुणवत्ता पैमाने के अनुरूप नहीं है। इसका खुलासा सरकार द्वारा गत दिनों नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सबमिट की गई रिपोर्ट में हुआ, जिसमें उपरोक्त जानकारी साझा की गई है। ये अपने आपमें बेहद यक्ष प्रश्न है कि ऐसी नौबत आई क्यों और इसको लेकर अब सरकार या संबंधित विभाग क्या काम कर रहे हैं।
यमुना के कैचमेंट एरिया में 25% प्वाइंट पर पानी पीने लायक नहीं
यमुना नदी प्रदेश के सबसे ज्यादा जिलों से गुजरती है। अलग-अलग जिलों में इस नदी के कैचमेंट एरिया में 74 लोकेशन को मार्क किया गया है, जहां समय-समय पर भूमिगत पानी की गुणवत्ता चेक की जाती है। इस दौरान सामने आया कि जब मॉनिटरिंग की गई तो उपरोक्त प्वाइंट्स में महज 55 ही ठीक मिले हैं और इन जगहों पर पानी पीने लायक माना गया। बाकी 19 प्वाइंट्स पर पानी पीने लायक नहीं मिला है। ये बेहद ही चिंतनीय स्थिति है जिसने हर किसी को सकते में डाल दिया है।
सोनीपत, पानीपत, फरीदाबाद और गुरुग्राम में यमुना की दुर्गति
कम से कम प्रदेश के चार-छह जिले तो ऐसे हैं, जहां यमुना की दुर्गति है और यहां नदी न केवल अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, बल्कि पानी की गुणवत्ता बेहद ही खराब है। अगर खराब गुणवत्ता वाली लोकेशन की बात करें तो कैचमेंट एरिया में सबसे ज्यादा लोकेशन बहादुरगढ़ में है, जहां पानी को पीने लायक नहीं माना गया है। वहां कुल 19 में से 6 लोकेशन ऐसी मिली, जहां बिल्कुल भी पीने लायक पानी नहीं है। शहर में लगातार बढ़ती इंडस्ट्री भी इसका एक प्रमुख कारण है। इसके बाद पलवल और बल्लभगढ़ आते हैं, जहां चार-2 लोकेशन पर पीने का पानी बेहद दूषित मिला है। पानीपत में ऐसी 2 लोकेशन हैं तो साउथ गुरुग्राम में भी 2 लोकेशन हैं। वहीं सोनीपत में ऐसी 1 लोकेशन है। इन जिलों या इलाकों में इंडस्ट्रीयल यूनिट्स नदी में जमकर कूड़ा, कचरा व अन्य तरह का वेस्ट बहाया जा रहा है। साथ में ये भी निर्देश बार-बार दिए जाते रहे हैं कि उन जगहों को चिन्हित किया जाए, जहां से नदियों में वेस्ट बहाया जा रहा है।
घग्गर की हालत तो ज्यादा खराब, 50 फीसदी से अधिक जगह पानी पीने योग्य नहीं
अगर घग्गर नदी की बात करें तो यहां के हालात तो और भी चिंताजनक हैं। नदी के कैचमेंट एरिया में कुल 79 लोकेशन चिन्हित की गई हैं, जिनकी मॉनिटरिंग समय-समय पर की जाती है। यहां चेकिंग के दौरान सामने आया कि यहां महज और महज 40 जगह ही ऐसी मिली, जहां भूमिगत पानी को पीने योग्य माना ही नहीं गया। बाकी 39 जगह पानी की गुणवत्ता ठीक थी और पानी को पिया जा सकता है। हालांकि समय-समय पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इनकी देख-रेख को लेकर और साफ सफाई को लेकर गाइडलाइंस भी जारी करती है, लेकिन हालात सुधर नहीं रहे।
सिरसा, फतेहाबाद और कैथल में भी घग्गर नदी के बुरे हालात
घग्गर नदी के हालातसुधारने के लिए त्वरित कदम उठाने की जरूरत है। कैथल जिले में 15 में से 13 जगहों पर पानी सही नहीं माना गया। ये बेहद ही डरावना है और कैथल में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। वहां भूमिगत जल की समस्या भी निरंतर बढ़ती जा रही है। फतेहाबाद में भी कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति है, जहां 18 में 14 लोकेशन ऐसी मिली, जहां पानी की गुणवत्ता खराब थी। सिरसा में 24 में 8 जगहों में पानी की गुणवत्ता दोयम दर्जे की मिली है। इसके बाद हिसार में 3 और जींद में 2 जगह पानी खराब पाया गया।
यमुना 11 और घग्गर 8 जिलों से निकलती है
दोनों नदियों की जिलेवार बात करें तो यमुना प्रदेश के 11 जिलों से होकर गुजरती है। ये यमुनानगर से प्रदेश में प्रवेश करती है तो इसके बाद कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत, झज्जर, पलवल, नूंह, फरीदाबाद, रोहतक और पलवल से गुजरती है। वहीं घग्गर पंचकूला से प्रवेश करती है और आगे अंबाला, जींद, कैथल, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद से निकलती है। इस तरह से दोनों 18 जिलों से होकर गुजरती है। प्रदेश में एक जिला संयुक्त है जहां से दोनों गुजरती हैं।
नदियों में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह इंडस्ट्री
दोनों नदियों में वहां प्रदूषण सबसे ज्यादा है, जहां पर औद्योगिक शहर हैं। अगर यमुना की बात करें तो ये बिल्कुल सटीक है। जिन शहरों में ज्यादा इंडस्ट्री है, वहां पर स्थिति काफी खराब है। पानी में केमिकल और अनट्रीटेड लिक्विड को बहाया जा रहा है। पानीपत में हैवी इंडस्ट्री है तो सोनीपत में भी यही हाल है। इन दोनों जिलों में यमुना का पानी बेहद खराब क्वालिटी का है। इसके बाद गुरुग्राम में तो हालात और भी ज्यादा बुरे हैं। फरीदाबाद में भी नदी के पानी की गुणवत्ता सही नहीं है। ये भी आम तौर पर रिपोर्ट होता रहा है कि पानी में प्लास्टिक, सीरा व केमिकल भी जमकर नदियों में बहाया जा रहा है।
—रिवर—