किसी भी राजनीतिक दल ने गौ हत्या बंद करने के लिए नहीं किया काम : निश्चलानंद जी महाराज

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No political party has done any work to stop cow slaughter: Nischalanand Ji Maharaj

प्रभजीत सिंह लक्की, यमुनानगर :

  • आरक्षण का कलंक पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की देन
  • इंदिरा गांधी ने चलवाई थी गोरक्ष को पर गोलियां

श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज का कहना है कि यदि आरक्षण की व्यवस्था ठीक रही होती तो आज देश और उन्नति की राह पर अग्रसर होता। उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि संविधान की धारा 25 के अनुसार यदि सब काम किया होता तो आज भारत हिंदू राष्ट्र की ओर तेजी से अग्रसर होता। उनका कहना है कि उन्होंने सदा ही इस आरक्षण का विरोध किया है जो कि तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की देन है। उन्होंने उस समय भी इस आरक्षण का विरोध करते हुए कहा था कि यह आरक्षण देश के विकास में बाधा है और प्रगति के मार्ग को रोकने वाला है क्योंकि इससे प्रतिभा दबेगी। उन्होंने कहा कि जिस वीपी सिंह ने यह आरक्षण का कलंक दिया था उसके ही परिवार जनों ने उन्हें पागल करार दे दिया था।

सनातन धर्म में तो लोक परलोक दोनों का संबंध है

शंकराचार्य जी ने कहा कि कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो सनातन धर्म पर चल कर खुश ना हो बल्कि कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो सनातन धर्म के ना मानने पर खुश रहे। उन्होंने कहा कि वेद में कोई एक भी वाक्य ऐसा नहीं है जिसे वैज्ञानिक खंडित कर सकें। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में तो लोक परलोक दोनों का संबंध है। गोरक्षा की बात करते हुए शंकराचार्य जी ने कहा कि आज तक किसी भी सरकार ने गौ रक्षा के लिए कदम नहीं उठाया। किसी भी राजनीतिक दल ने गौ रक्षा के लिए काम नहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में 7 नवंबर 1966 को 450 गौ भक्त मार दिए गए थे। दक्षिण भारत के उस समय अर्धसैनिक बल बुलाए गए थे और हरियाणा से भी उस समय अर्धसैनिक बल बुलाए गए थे।वे खुद भी आंदोलन में बेहोश हो गए थे। उन्होंने बताया कि वहां पर ऐसी ऐसी माताएं थी जिनकी गोद में पांच छह माह के बच्चे थे और उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि उन्हें गौ रक्षा के नाम पर मार दिया जाएगा। आज गौ रक्षकों को गुंडे बताया जाता है। जहां के प्रधानमंत्री और उच्चतम न्यायालय गौ रक्षकों को गुंडे बताते हैं वहां गौ की क्या हालत होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है। हिंदू राष्ट्र के प्रश्न का जवाब देते हुए शंकराचार्य जी ने कहा कि चाहे स्वास्थ्य मंत्री हिंदू हो या जैन, बौद्ध, सिख अपने धर्म पर अडिग रहते और आरक्षण के लोभ मैं अपने आप को हिंदुओं से अलग ना करते तो हिंदू राष्ट्र का यह मार्ग प्रशस्त होता।

अब जैन, बौद्ध, सिख अपने आप को हिंदू नहीं कहते बल्कि अपने आपको अल्पसंख्यक मानते हैं। राष्ट्रपति हिंदू हैं व अन्य मंत्री हिंदू हैं कहने से काम नहीं चलेगा बल्कि हिंदुओं के हितों की ओर कदम बढ़ाना पड़ेगा। शंकराचार्य ने कहा कि सबसे पहले यह तो माने कि हम सबके पूर्वज एक ही थे। इससे कम से कम इतिहास को संशोधित करें, यदि ऐसा करते हैं तो सबसे पहले अपने आप पर ही उपकार होगा फिर अन्य पर। उन्होंने कहा कि युवाओं को नशा तो चाहिए ही लेकिन यह नशा धर्म और अध्यात्म का और ध्यान का होना चाहिए। यदि मां-बाप उन्हें अच्छा संस्कार देंगे तो वह अच्छे नागरिक बनेंगे। आज माता-पिता को योग्य होने की आवश्यकता है नहीं तो मोबाइल मार्का बेटा गलत राह पर चल सकता है। हिंदू धर्म को बचाने के लिए लगातार उनकी पीठ से प्रयास चल रहे हैं और उसी प्रयास के चलते वह यहां पहुंचे हैं।

दूसरे धर्म में भी जाकर लोग ठगे जा रहे हैं

दूसरे धर्म में भी जाकर लोग ठगे जा रहे हैं और वहां भी दलित के दलित ही कहलाए जा रहे हैं तथा उनकी निर्धनता जस की तस है और ना ही उनकी कोई सम्मान मिला है। वह वहां भी ठगे गए हैं। उन्होंने बताया कि पहले जितने भी कुटीर उद्योग तथा लघु उद्योग थे वह सब शुद्र किया करते थे। उनके जीवन में कोई निर्धनता नहीं थी। उन्होंने कहा कि लाखों वर्ष पहले काशी नगरी में परिस्थिति वश जब राजा हरिश्चंद्र को उस समय के डोम राजा ने हीं खरीदा था यदि उस समय में निर्धन होते तो कैसे खरीदेते। उन्होंने कहा कि आज आधुनिक विधा के कारण कथावाचकओं की भी बाढ़ आ गई है जबकि कथा करने का अधिकार सबको नहीं है। उन्होंने कहा कि गीता के पहले अध्याय में भी कहा है कि जाति और धर्म शाश्वत है इनको काटा नहीं जा सकता। शंकराचार्य जी ने कहा की आज भी इंग्लैंड की दास्तां भारत को प्राप्त है।

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