No party ever ends completely – Shiv Sena: कोई भी दल कभी भी पूरी तरह खत्म नहीं होता- शिवसेना

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मुंबई। शिवसेना अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध है चाहे वह सत्ता में हो या सत्ता से बाहर। वह आलोचना करने में सत्तारूढ़ पार्टी या विपक्ष दोनों को समान रूप से रखती है। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने हाल ही में सोलापुर की एक रैली में पवार पर चुटकी लेते हुए कहा था कि जिस तरह लोग राकांपा छोड़कर जा रहे हैं, उससे लगता है कि जल्द ही राकांपा वन मैन पार्टी बन जाएगी। शिवसेना ने बृहस्पतिवार को अपने मुखपत्र सामना में इसका जवाब दिया। शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि कोई भी राजनीतिक दल कभी भी पूरी तरह खत्म नहीं होता। यह कह कर पार्टी ने राकांपा नेता रोहित पवार के इस कथन से एक तरह से सहमति जताई है कि भाजपा अपने फायदे-नुकसान के हिसाब से उनके नाना शरद पवार की तारीफ और बुराई करती है। मुखपत्र सामना में लिखा है कि महाराष्ट्र के विकास में राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उसमें लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद (पवार के गृह नगर) बारामती की यात्रा के दौरान पवार के योगदान को सराहा था। मोदी ने पवार को अपना गुरु बताया था।

बहरहाल, रविवार को अमित शाह ने सोलापुर की रैली में वंशवाद की राजनीति और भ्रष्टाचार को लेकर पवार पर निशाना साधा। अखबार ने पवार के नाती रोहित पवार के बयान का भी हवाला दिया है। रोहित ने भाजपा पर चुटकी लेते हुए कहा था कि भाजपा एक ओर पवार की तारीफ कर और दूसरी ओर महाराष्ट्र के विकास में उनके योगदान पर सवाल उठाकर ‘दोहरे मानदंड वाली राजनीति कर रही है। सामना ने लिखा है कि भाजपा के इन बयानों का जवाब देने वाले रोहित पवार परिवार के पहले सदस्य हैं। संपादकीय में लिखा है कि राकांपा को सत्ता से बाहर हुए पांच साल हो गए हैं, इसके बावजूद पवार पर हमला जारी है। उसमें लिखा है महाराष्ट्र और देश, दोनों ही जगह पवार या कांग्रेस का शासन नहीं है, पिछले पांच साल से राज्य में भाजपा-शिवसेना की सरकार है। चुनाव प्रचार का मुख्य फोकस हमारी सरकार के कामकाज पर होना चाहिए। अखबार में लिखा है राजनीतिक बयार बदल गई है। राजनीतिक दल बने, वे कमजोर पड़े। लेकिन राजनीतिक परिदृश्य से कोई भी दल हमेशा के लिए खत्म नहीं होता। राजनीति में रहने वाले हर किसी को यह याद रखना चाहिए। आगे संपादकीय में लिखा है कि हालांकि राकांपा की हालत इस बात का संकेत है कि महाराष्ट्र की राजनीति में पवार की पकड़ कमजोर हुई है।