नई दिल्ली। एनआरसी को लेकर लगातार बयानबाजी चलती रही है। एनआरसी को लेकर सबसे ज्यादा आक्रामक ममता बनर्जी रहीं हैं। वह पश्चिम बंगाम में एनआरसी लागू नहीं करने की कई बार बात कह चुकी है। आज राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने एनआरसी पर स्पष्ट कहा कि इससे किसी भी धर्म को डरने की जरूरत नहीं है। यह किसी धर्म विशेष के लिए नहीं है। उन्होंने राज्यसभा में एलान किया कि एनआरसी के आधार पर नागरिकता की पहचान सुनिश्चित की जाएगी और इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। साथ ही उन्होंने धर्म के नाम पर एनआरसी में भेदभाव किए जाने की बात को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह एक प्रक्रिया है जिससे देश के सभी नागरिक एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकें। एनआरसी में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है जिसके आधार पर कहा जाए कि धर्म विशेष के लोगों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि सभी नागरिक भले ही उनका धर्म कुछ भी हो, एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। एनआरसी अलग प्रक्रिया है और नागरिकता संशोधन विधेयक अलग प्रक्रिया है। इसे एक साथ नहीं रखा जा सकता। राज्यसभा में सांसद सैयद नासिर हुसैन के प्रश्न का त्तर देते हुए गृहमंत्री ने कहा किं हिंदू, बुद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। इसके लिए सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल अलग से है ताकि इन शरणार्थियों को नागरिकता मिल सके। इन्हें पाकिस्तान, बांग्लादे और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार होना पड़ा था।