Nirmala Sitharaman: न्याय व बिना किसी पक्षपात शासन का प्रतीक होगा ‘सेंगोल’

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Nirmala Sitharaman
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। 

Aaj Samaj (आज समाज), Nirmala Sitharaman, नई दिल्ली/चेन्नई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नए संसद भवन के उद्घाटन का जहां कुछ विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं, वहीं संसद भवन की नई बिल्डिंग में ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ (राजदंड) स्थापित करने के फैसले पर कई लोग पीएम मोदी की सराहना कर रहे हैं। वहीं विपक्षी दल राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उदघाटन करवाने की मांग कर रहे हैं और इसको लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर कर दी गई है। देश के पहले गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी के प्रपौत्र सीआर केसवन ने सेंगोल को नए संसद भवन में रखे जाने के निर्णय के लिए पीएम मोदी की तारीफ की है।

  • देश के पहले गवर्नर-जनरल के प्रपौत्र ने की मोदी की तारीफ
  • स्थापना के अवसर पर तमिलनाडु के 20 धर्माध्यक्ष होंगे शामिल  

प्रधानमंत्री 28 मई को करेंगे नए संसद भवन का उद्घाटन

प्रधानमंत्री 28 मई को नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को चेन्नई में कहा कि लोकसभा में अध्यक्ष की कुर्सी के पास श्रद्धा के साथ सेंगोल को स्थापित किया जाएगा और यह ‘न्याय व बिना किसी पक्षपात के शासन’ का प्रतीक होगा। सीतारमण ने बताया कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल (राजदंड) सौंपे जाने की घटना में तमिलनाडु का एक गौरवपूर्ण हिस्सा है और इस राज्य से कार्यक्रम में 20 धर्माध्यक्ष (आदिम) शामिल होंगे। यह स्वर्गीय सीआर राजगोपालाचारी के बाद नेहरू के परामर्श पर शैव पोंटिफ के साथ चर्चा करके तिरुवदुथुराई अधीनम की सलाह पर किया गया था।

जानिए तमिल में क्या है , ‘आदीनम’ शब्द का मतलब

वित्त मंत्री ने बताया कि सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किए जाने के साथ, तमिलनाडु के 20 धर्माध्यक्ष, जिनमें तिरुवदुथुराई, पेरूर और मदुरै शामिल हैं, को इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया गया है। तमिल में, ‘आदीनम’ शब्द एक शैव मठ और ऐसे मठ के प्रमुख दोनों को संदर्भित करता है। सीआर केसवन ने सेंगोल को नए संसद भवन में रखे जाने के निर्णय के लिए पीएम मोदी की तारीफ की है।

गहरी समझ रखने वाले व्यक्ति महत्वपूर्ण घटना को उचित स्थान देते हैं : केसवन

उन्होंने गुरुवार को कहा कि भारत की विरासत की गहरी समझ रखने वाले व्यक्ति ही इस तरह की महत्वपूर्ण घटना को इतिहास में उचित स्थान देते हैं। सेंगोल को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात को अपने आवास पर कई नेताओं की उपस्थिति में स्वीकार किया था। अंग्रेजों से भारत में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में उन्हें इसे सौंपा गया था।

देश के कई लोग अब भी ‘सेंगोल’ से बेखबर : केसवन

देश के पहले गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केसवन ने कहा, हम में से बहुत से लोग पवित्र राजदंड के साथ सत्ता के हस्तांतरण में इस महत्वपूर्ण घटना के बारे में नहीं जानते थे, जो कि ‘सेंगोल’ है। एक भारतीय के रूप में, मैं पीएम मोदी को इसके लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। केवल एक व्यक्ति है जो सभ्यता की विरासत, भारतीय संस्कृति और हमारे मूल्यों व परंपराओं के लिए गहरा सम्मान सुनिश्चित कर सकता है। इस तरह की एक महत्वपूर्ण घटना (सेंगोल) को गुमनामी से वापस लाकर उसे उचित स्थान देना बड़ी बात है।

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Nirmala Sitharaman ‘Sengol’ will be the symbol of justice and governance without any bias