Nirbhaya scandal: All four did not go to Supreme Court against Tihar notice: निर्भया कांड: तिहाड़ के नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं गए चारो दोषी

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नई दिल्ली। 2012 के निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के दोषियों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की दरवाजा नहीं खटखटाया। मौत की सजा में कमी या उससे माफी के लिए चारो दोषी दया याचिका दाखिल करने से इनकार कर चुके हैं। दूसरी ओर पहले से तय और आगे की सोची-समझी विशेष रणनीति के तहत जेल में बंद चार में से तीन दोषियों ने सोमवार को दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन को उनके नोटिस का जवाब जरूर दाखिल कर दिया। जानकारी के मुताबिक, तिहाड़ जेल में बंद दो मुजरिमों (विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार सिंह) व दिल्ली की मंडोली जेल में बंद पवन कुमार गुप्ता के वकील डॉ. अजय प्रकाश सिंह ने इसकी पुष्टि की। तिहाड़ प्रशासन ने 29 अक्टूबर को दोषियों को आगाह किया था कि उनके पास दया याचिका के लिए मात्र सात दिन बाकी बचे हैं। वे चाहें तो इन सात दिनों के अंदर राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल कर सजा माफी के लिए उनके पास बचे इकलौते कानूनी हक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

नोटिस के मिलने के बाद ही तिहाड़ जेल नंबर 2 में बंद निर्भया के हत्यारे विनय कुमार शर्मा और जेल नंबर 4 में बंद अक्षय कुमार सिंह और मंडोली की 14 नंबर जेल में बंद पवन कुमार गुप्ता की नींद उड़ गई थी। शुक्रवार दोपहर बाद तीनों दोषियों के वकीलों ने अपने-अपने मुवक्किलों से जेलों में जाकर कई घंटे गहन बातचीत की। उस विशेष बैठक के बाद ही तय हुआ था कि चार में से तीन (चैथे आरोपी मुकेश की रणनीति का अभी खुलासा नहीं हुआ है) मुजरिम जेल से मिले नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे, न कि राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल करेंगे।

इन तीनों (विनय शर्मा, अक्षय, पवन) में से अक्षय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल किए जाने की उम्मीद थी। जबकि बाकी दोनों मुजरिमों यानी विनय कुमार शर्मा और पवन कुमार गुप्ता की तरफ से क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में डाले जाने की बातें निकल कर सामने आ रही थीं। लेकिन तीनों सजायाफ्ता मुजरिमों के वकील सोमवार को अचानक तिहाड़ जेल और मंडोली जेल जा पहुंचे। अक्षय कुमार सिंह और विनय कुमार शर्मा के वकील डॉ. अजय प्रकाश सिंह ने कहा, श्कानून सबके लिए समान है। हमारे मुवक्किलों के लिए जब कई दिनों की एक साथ छुट्टियां पड़नी तय थीं, तभी 29 अक्टूबर को जेल प्रशासन और दिल्ली सरकार ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका भेजने के लिए सात दिन का नोटिस दे दिया, जोकि सरासर कानून का मजाक था। उन्होंने आगे कहा, मेरे मुवक्किल पवन कुमार गुप्ता की उम्र को लेकर केस हाई कोर्ट में लंबित है। जबकि विनय और अक्षय को लेकर भी याचिकाएं डालने का हमारा हक बाकी है। ऐसे में सीधे-सीधे मुजरिमों को नोटिस वह भी इतने कम समय में जारी करने का कौन-सा कानून है?