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विडम्बना ये है कि अब जबकि सबको एक दूसरे की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, चाहे वो राष्ट्र हो या व्यक्ति, बचाव दूर-दूर रहने में है। अधिकांश अंतराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दी गई है। बॉर्डर सील हो रहे हैं। लोगों को घरों में रहने के लिए कहा जा रहा है। मूलतः ये थूक और छींक से फैलता है। लोगों को कहा जा रहा है कि वे मास्क पहने, यहाँ-वहाँ ना थूकें, खाँसते-छींकते समय कोहनी से मुँह ढकें जिससे कि कोरोना इसके माध्यम से नहीं फैले। अगर चार-पाँच दिन से सुखी खांसी है, गला ख़राब है, बुख़ार है और थकान अनुभव कर रहे हैं तो अस्पताल जाएँ। एंटीबायोटिक्स इसका इलाज नहीं है क्योंकि ये बैक्टीरीया को मारता है। कोरोना एक वाइरस है और तत्काल इसका कोई इलाज नहीं है। बचाव में ही बचाव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के आकड़ों के मुताबिक़ दोपहर 22 मार्च 2020 तक कोरोना 185 देशों तक पहुँच चुका है। 2,67,013 लोगों को संक्रमित कर चुका है। 11,201 की जान ले चुका है। चीन, इटली, स्पेन और ईरान सर्वाधिक प्रभावित देश हैं।
पीड़ितों की संख्या के हिसाब से भारत 47वें नम्बर पर है। 1-22 मार्च के मध्य 258 मरीज कोरोना पॉज़िटिव मिले हैं। मरने वाले की संख्या 4 है। 21 मार्च को 44 और दोपहर 22 मार्च तक 63 नए मामले सामने आए हैं। स्थिति फ़िलहाल नियंत्रण में लगती है। लेकिन अगले पंद्रह दिन में क्या होगा ये इस बात पर निर्भर करता है कि लोग सरकार के परामर्श को कितना मानते हैं। चीन में 31 दिसम्बर 2019 से शुरू होकर फ़रवरी आते-आते रोगियों की संख्या 80,000 से ऊपर हो गई। अब तक 11,201 की जान जा चुकी है। इटली में ये 23 फ़रवरी को शुरू हुआ। अब तक 47,021 चपेट में आ चुके हैं। मरने वाले की संख्या 4,032 तक़ पहुँच गई है। स्पेन में 1 मार्च से शुरू होकर रोगियों की संख्या 19,980 तक पहुँच चुकी है। मृतकों को संख्या 1002 हो गई है। ईरान में 26 फ़रवरी को पहला मामला रिपोर्ट हुआ। बीमार होने और मरने वालों की संख्या क्रमशः 19,644 और 1,433 तक पहुँच गई है। नूक्लीयर बम के शौक़ में अमेरिका का व्यापारिक प्रतिबंध झेल रहे इस देश के लिए ये बड़ी मुसीबत है। यहाँ के हुक्मरानों का कहना है अगर लोगों ने एहतियात नहीं बरता और ईरान को बाहर से सहायता नहीं मिली तो आने वाले दिनों में लाखों-लाख मरेंगे।
भारत के सामने चुनौती “कर्व” को “फ़्लैट” करने की है। इसका मतलब ये हुआ कि कोरोना पीड़ितों की संख्या किसी तरह से सीमित रखी जाय जिससे कि उपलब्ध डाक्टर, हॉस्पिटल बेड और वेंटिलेटर से उनका इलाज किया जा सके। सरकार इस क्रम में बाहर से आने वालों को रोक रही है। संदिग्ध पीड़ितों को आयसोलेशन, क्वॉरंटीन में डाल रही है। टेस्टिंग लैब्रॉटॉरी की संख्या बढ़ा रही है। हॉस्पिटल बेड्स की संख्या बढ़ा रही है। लोगों से गुहार लगा रही है कोरोना संक्रमित थूक और छींक से फैलता है, इससे बचें, बचाएँ। रोगी और तीमारदार मास्क पहनें, लोग भीड़ ना लगाएँ, बीस सेकंड तक हाथ धोएँ, हाथ से मुँह, आँख, नाक ना छुएँ और एक मीटर की फ़िज़िकल डिटेंन्सिंग बनाए रखें जिससे थूक और छींक के माध्यम से कोरोना दूसरे तक नहीं पहुँच पाए। अगर इटली, स्पेन और ईरान की तरह बेपरवाह रहे तो अगले दो सप्ताह में परिणाम भी वैसा ही आएगा, इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। संक्रमण के पहले तीन सप्ताह में इन देशों को स्थिति कमोबेश भारत जैसी ही थी।
वैसे कोरोनावाइरस एक कुनबे की तरह है। ये फेफड़े पर मार करती है। पहले इससे सार्स और मर्स को महामारी फैली। भारी संख्या में लोग मरे। COVID 19 एक नई क़िस्म की कोरोना वाइरस है। तत्काल इसकी कोई दवाई नहीं है लेकिन छह में एक को ही अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ती है। संक्रमित होने के एक से चौदह दिन के बीच में लक्षण जैसे कि बुख़ार, साँस लेने में कठिनाई, थकान आने शुरू हो जाते हैं। जिन्हें पहले से ही डाइबीटीज़, हृदय रोग, अस्थमा, कैन्सर जैसी बीमारियाँ हैं, उनके लिए ये जानलेवा साबित हो सकती है। इसी कारण वृद्ध और बच्चों को ज़्यादा मुश्किल आ रही है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि युवाओं को कुछ नहीं होगा। डाक्टरों का कहना है कि स्वस्थ भोजन करें, शराब-सिगरेट से बचें, बच्चे घंटे और वयस्क आधे घंटे तक कसरत करें, लोगों से दूरी रखें लेकिन सम्पर्क बनाए रखें, योग-ध्यान करें। इससे शरीर का रोगनिरोधी तंत्र मजबूत रहेगा, आप आसानी से कोरोना की चपेट में नहीं आएँगे।
डबल्यूएचओ ने चीन, क़ोरिया, जापान और सिंगापुर का हवाला देते हुए कहा है कि इसने कोरोना के संक्रमितों की पहचान कर उनको दूसरों के सम्पर्क में आने से रोका। उनको डाक्टरी सहायता मुहैया की। कांटैक्ट-ट्रेसिंग से उनके सम्पर्क में आए लोगों को अलग-थलग किया। इस तरह से COVID 19 के संक्रमण को रोकने में वे सफल हुए हैं। लॉक-डाउन उस स्थिति में ज़रूरी है जब ये ठीक-ठीक पता नहीं हो कि कौन संक्रमित हैं जिन्हें बाक़ी से अलग रखने की जरूरत है। ऐसे में सबको सबसे अलग रख संक्रमण-प्रसार के चक्र को तोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है।
ये एक ऐसी बीमारी है जो तेज़ी से फैल रही है और जिसका तत्काल कोई इलाज नहीं है। लोगों के आत्मसंयम और जागरुकता में ही बचाव है। आने वाले पंद्रह दिन सबके लिए परीक्षा की घड़ी है।