पूरे विश्व को पिछले साल पहली बार अपनी चपेट में लेने वाला कोरोना वायरस कई देशों में पहले ही तबाही मचा चुका है। अब भारत में इसकी दूसरी लहर है। इसकेपहले बीते साल जब कोरोना मामले बढ़ने शुरू हुए थे तब यह भारत में इतनी तबाही नहीं मचा पाया था। भारत में इस वायरस से रिकवरी रेट भी बहुत ज्यादा था। लेकिन अब इसकी दूसरी लहर देश मेंज्यादा घातक सिद्ध हो रही है। प्रतिदिन कोरोना महामारी से पीड़ित होने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना केमामलों में इतना तेजी से इजाफा होने का कारण इसकेअलग-अलग वेरिएंट को पहचान नहीं पाना है। भारत में इन वेरिएंट्स को पहचानने में देरी हो रही है। जिसके कारण तबाही ज्यादा बड़ी हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे वैक्सीन का असर भी प्रभावित हो सकता है। सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत अपने पॉजिटिव सैंपलों में से सिर्फ एक प्रतिशत को ही जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजता है। वहीं, ब्रिटेन कुल संक्रमितों के 8 प्रतिशत सैंपलों की जीनोम सिक्वेंसिंग करता है। बीते हफ्ते तो यूके में 33 फीसदी सैंपलों को सिक्वेंस किया गया। अमेरिका में भी एक हफ्ते में आए 4 लाख नए मामलों के 4 फीसदी सैंपलों की जांच की गई। बुधवार को भारत में कोरोना वायरस के 1 लाख 15 हजार नए मामले रिपोर्ट हुए हैं। इसके बाद भारत में कोरोना वायरस के कुल मामले 1.28 करोड़ तक पहुंच गए हैं। ब्राजील और अमेरिका के बाद भारत का ही नंबर कोरोना संक्रमितों की संख्या के संबंध में है। महाराष्ट्र राज्य देश में सबसे बड़ा हॉट स्पॉट बना हुआ है। जहां लगातार मामले अत्यधिक संख्या में आ रहे हैं।
बीते साल दिसंबर में अंतरराष्ट्रीय सफर कर आने वाले कुछ यात्रियों में कोरोना का यूके वाला वेरिएंट मिला था, जिसके बाद भारत ने राज्यों द्वारा संचालित 10 लैबोरेटरी को मिलाकर एक कंजोर्शियम बनाया था ताकि पॉजिटिव सैंपलों की सिक्वेंसिंग की जा सके।
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