New Toll System : अगर आप भी करते है नेशनल हाईवे (NHAI) पर सफर तो अब टोल की लम्बी लाइनों में में नहीं करना होगा इंतज़ार। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा नया टोल सिस्टम जारी किया गया है जिसके अंतर्गत सिस्टम में सैटेलाइट की मदद से वाहनों की दूरी मापी जाएगी और उसी के हिसाब से टोल काटा जाएगा। यह GPS आधारित नया टोल सिस्टम अब fashtag की जगह लेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह तकनीक पहले 1 अप्रैल से शुरू होनी थी, लेकिन कुछ देरी के चलते अब इसे 1 मई से लागू किया जाएगा। शुरुआत में इसका परीक्षण चुनिंदा हाईवे पर ही किया जाएगा।
GPS आधारित नया टोल सिस्टम
यह नया सिस्टम मौजूदा फास्टैग की जगह लेगा, जिसमें वाहन को टोल प्लाजा पर रुकना पड़ता है। जीपीएस आधारित यह टोल सिस्टम सैटेलाइट तकनीक पर काम करेगा, जो वाहन द्वारा तय की गई दूरी का पता लगाएगा और उसी आधार पर टोल की राशि सीधे बैंक खाते से कट जाएगी।
हालांकि, यह सिस्टम शुरुआत में कुछ ही नेशनल हाईवे पर लागू किया जाएगा और फास्टैग के साथ ही काम करेगा। उपभोक्ता चाहें तो जीपीएस टोल में तुरंत बदलाव कर सकते हैं।
जीएनएसएस यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम एक ऐसी तकनीक है जो सैटेलाइट के जरिए वाहन की लोकेशन, मूवमेंट और यात्रा के समय को ट्रैक करती है।
भारत में टोल कलेक्शन का तरीका बदला जा रहा
इस तकनीक की मदद से अब भारत में टोल कलेक्शन का तरीका बदला जा रहा है। पिछले साल आयोजित जीएनएसएस आधारित टोल कार्यशाला में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि “हम नागरिकों के जीवन को आसान बनाने, शासन को पारदर्शी बनाने और सेवाओं को तेज बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।”
अब नई व्यवस्था के तहत आपको टोल चुकाने के लिए न तो लाइन में लगना पड़ेगा और न ही फास्टैग के स्कैन होने की चिंता करनी पड़ेगी। वाहन जितना सफर करेगा, उतना ही टोल कटेगा, वह भी सीधे आपके बैंक खाते से। इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि ईंधन की भी बचत होगी।
GNSS तकनीक में कोई भौतिक टोल प्लाजा नहीं होगा। यह एक वर्चुअल टोल सिस्टम होगा जो सैटेलाइट के जरिए वाहन की स्थिति और यात्रा की दूरी को ट्रैक करेगा।
इसके बाद निर्धारित दूरी के हिसाब से टोल की राशि कट जाएगी। इसमें डिजिटल वॉलेट का विकल्प होगा और तकनीकी गड़बड़ियां भी कम होंगी। साथ ही उपभोक्ता चाहें तो प्रीपेड या पोस्टपेड भुगतान विकल्प चुन सकते हैं।
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