New Tax Regime : नया वित्तीय वर्ष 2025-26 जो की 1 अप्रैल से शुरू होने वाला है इसके तहत ही वित्तीय वर्ष 2024 -25 का समापन होगा। नए वर्ष के साथ ही कर व्यवस्था भी बदलती है और कुछ कार्य को करवाना जरूरी हो जाता है। वित्तीय वर्ष के समापन से पहले यानि 31 मार्च तक हमें कई कर से संबंधित कार्य करने होते है ताकि बाद ने किसी तरह की परेशानी न हो।

नई कर व्यवस्था की शुरुआत

जुलाई में पेश किए गए केंद्रीय बजट के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई कर व्यवस्था की शुरुआत की थी। 2025-26 के बजट में, उन्होंने घोषणा की कि नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर व्यक्तियों पर कर नहीं लगाया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, इस व्यवस्था के तहत कर स्लैब में संशोधन किए गए हैं। विशेष रूप से, 4 लाख रुपये से 8 लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत कर लागू होता है, जबकि 8 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच की आय पर 10 प्रतिशत कर लगाया जाता है और 12 लाख रुपये से 16 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत कर लगाया जाता है। इसके अलावा, 16 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच की आय के लिए 20 प्रतिशत कर और 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये तक की आय के लिए 25 प्रतिशत कर की आवश्यकता होती है।

विशेषताएँ

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नई कर व्यवस्था के तहत, कई कर कटौती उपलब्ध नहीं हैं, जिनमें धारा 80 सी, 80 डी और गृह ऋण के तहत कटौती शामिल हैं। हालांकि, 12 लाख रुपये तक की आय पर कर न चुकाने का लाभ इस व्यवस्था के लिए विशेष है।

कर व्यवस्था के बीच चुनाव करने का विकल्प

करदाताओं के पास वर्तमान में नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था के बीच चुनाव करने का विकल्प है, जिससे अक्सर भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।

व्यक्तियों को नई कर व्यवस्था से पुरानी कर व्यवस्था में जाने की अनुमति है। उदाहरण के लिए, अगर आपने वित्तीय वर्ष 2024-25 में अपने आयकर के लिए पुरानी कर व्यवस्था का इस्तेमाल किया है, तो आप आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में नई कर व्यवस्था का विकल्प चुन सकते हैं, और इसके विपरीत।

12 लाख रुपये तक की आय पर कराधान से बचने के लिए, आपको नई कर व्यवस्था चुननी होगी, क्योंकि पुरानी कर व्यवस्था के तहत यह लाभ नहीं दिया जाता है।

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