New Scheme For Poor Prisoners: जमानत राशि भरने में असमर्थ कैदियों की मदद के लिए नई योजना शुरू करेगा केंद्र

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New Scheme For Poor Prisoners
बजट भाषण-2023 के दौरान संबोधित करतीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

New Scheme For Poor Prisoners: केंद्र सरकार जेलों में बंद कमजोर वर्ग के कैदियों की वित्तीय व अन्य समस्याओं के हल के लिए एक नई योजना शुरू करने की तैयारी में है। इस योजना के तहत सरकार गरीब लोगों को वित्तीय व अन्य तरह की मदद करेगी। केंद्र का मानना है कि इससे जेलों में बढ़ रहा बोझ भी घटेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज बताया कि आईपीसी में धारा 436ए और सीआरपीसी में एक नया अध्याय XXIA प्ली बारगेनिंग शामिल किया जाएगा।

  • निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण-2023 में की थी घोषणा
  • सरकार की नईस्कीम से घटेगा हवालात में बढ़ रहा बोझ

ई-प्रिजन प्लेटफॉर्म को मजबूत करने की तैयारी

गृह मंत्रालय ने कहा कि जेल में बंद गरीब लोगों तक नई योजना का लाभ पहुंचे, इसके लिए ई-प्रिजन प्लेटफॉर्म को मजबूत किया जाएगा। कानूनी सेवा संगठनों को भी मजबूत किया जाएगा। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण-2023 में गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की थी। इसमें वे लोग शामिल हैं, जो दंड या जमानत राशि नहीं भने में असमर्थ हैं।

विभिन्न स्तरों पर प्रदान की जा रही गरीब कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता

गृह मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर गरीब कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है। वित्तीय सहायता लोगों तक पहुंचे अब यह सुनिश्चित करना होगा। मंत्रालय ने कहा कि जेल आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गृह मंत्रालय समय-समय पर राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश देता है। विभाग जेलों को सुरक्षित और आधुनिक बनाए रखने के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है।

बेल मिलने के बावजूद जेलों में हजारों बंदी

एक फरवरी को आम बजट पेश होने से एक दिन पहले नालसा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक अदालतों द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद लगभग 5,029 विचाराधीन बंदी देश की जेलों में थे, जिनमें से 1,417 को रिहा कर दिया गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2,357 कैदियों को कानूनी सहायता दी गई थी।

दिसंबर 2022 के अंत तक महाराष्ट्र में 703 बंदी थे जो जमानत की शर्तों को पूरा करने में असमर्थता के कारण जेल में बंद थे। इनमें से 215 बंदियों को कानूनी सहायता प्रदान की गई और 314 को रिहा कर दिया गया। वहीं दिल्ली में ऐसे कैदियों की संख्या 287 थी, जिनमें से 217 को कानूनी मदद दी गई और 71 लोगों को रिहा कर दिया गया।

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