Aaj Samaj (आज समाज), New EV Policy, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माण को मजबूत बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने अपनी नई ईवी नीति को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अब देश में कंपनियां न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपए के निवेश से इलेक्ट्रिक व्हीकल के निर्माण के लिए प्लांट लगा सकती हैं। फिलहाल अधिकतम निवेश की कोई भी सीमा नहीं तय की गई है।
25 फीसदी देश में निर्मित कंपोनेंट्स का इस्तेमाल अनिवार्य
नई ईवी नीति के अनुसार कंपनियों को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में न्यूनतम 25 फीसदी देश में निर्मित कंपोनेंट्स (कल-पुर्जे) का इस्तेमाल करना ही होगा। वाहन निर्माण क्षेत्र की उन कंपनियों को, जो नई वाहन नीति में उल्लिखित शर्तों को पूरा करेंगी उन्हें 35,000 डॉलर और उससे अधिक कीमत वाली कारों पर 15 फीसदी से कम आयात शुल्क लगेगा।
आयातित कारों पर अभी 70 से 100% तक कर वसूलता है भारत
अभी भारत आयातित कारों पर 70 से 100 फीसदी तक कर वसूलता है। कार के मूल्य के आधार पर वाहन कंपनी को हर साल 8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों को आयात करने की अनुमति दी जाएगी। इम्पोर्ट किए जा सकने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर शुल्क छूट वार्षिक पीएलआई प्रोत्साहन (6,484 करोड़ रुपए) या मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा किए गए निवेश, जो भी कम हो, तक सीमित है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने नई नीति बनाने को लेकर कुछ दिन पहले ही घोषणा कर दी थी।
भारतीय उपभोक्ताओं को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी तक पहुंच सहित होंगे ये फायदे
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि नई ईवी नीति भारतीय उपभोक्ताओं को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्रदान करेगी, ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देगी और ईवी निमार्ताओं के बीच यह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करेगी। इसकी वजह से उच्च उत्पादन मात्रा, पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं, उत्पादन लागत में कमी, कच्चे तेल के आयात में कमी, व्यापार घाटे में कमी, खासकर शहरों में वायु प्रदूषण में कमी होगी और स्वास्थ्य व पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
टेस्ला जैसे विदेशी कार निमार्ताओं के लिए एक और मौका
नई ईवी नीति के फैसले को टेस्ला जैसी विदेशी कार निमार्ताओं के लिए भारत में लॉन्च रणनीति पर पुनर्विचार करने के एक और अवसर के रूप में देखा जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों से यह अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता भारतीय बाजार में एंट्री के लिए कम आयात टैक्स की पैरवी कर रहा था। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कंपनी व केंद्र सरकार के बीच विभिन्न स्तरों पर बातचीत भी हुई है। भारत की प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टाटा मोटर्स ने पहले केंद्र सरकार से इलेक्ट्रिक कारों पर आयात शुल्क कम न करने और घरेलू निमार्ताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।
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