New dispute in Ayodhya land case: अयोध्या जमीन मामले में नया विवाद -जिस जमीन को फ्री में कब्ज़ा छोड़ा वो ज़मीन ट्र्स्ट ने ढाई करोड़ में खरीदी

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Ram janam bhumi Mandir
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 महंत बृजमोहन दास का दावा कि राम मंदिर के लिए जिस जमीन को फ्री में कब्ज़ा छोड़ा वो ज़मीन ट्र्स्ट ने ढाई करोड़ में किसी दूसरे से खरीदी। ज़मीन विवाद मामले में दशरथ गद्दी के महंत बृजमोहन दास ने बड़ा दावा किया है। उनका दावा है कि 135 नम्बर गाटा की जिस जमीन को ट्र्स्ट ने मेयर ऋषिकेश के भतीजे दीप नारायण से ढाई करोड़ में खरीदी है,वो ज़मीन उनके कब्जे में थी। उनका कहना है कि ये ज़मीन सरकारी नजूल की है। वर्षो से इस जमीन पर उनके गुरु स्वर्गीय महन्त राम आसरे दास का और फिर उनका कब्ज़ा दखल रहा है और वो इसमे खेती करवा रहे थे। वो इस जमीन में किसमी कास्तकार की हैसियत से सरकारी दस्तावेजों में है। उन्होंने खुलासा किया है कि कुछ दिनों पहले उनके यहां अयोध्या के एडीएम प्रशासन संतोष कुमार पहुचे और उनसे कहा कि इस जमीन का कब्ज़ा छोड़ दीजिए। महंत ने आरोप लगाया कि एडीएम ने ये भी कहा कि ये ज़मीन राम मंदिर के लिए ट्र्स्ट को देनी है। इसी वजह से उन्होंने इस जमीन का कब्ज़ा राम मंदिर के लिए छोड़ दिया। लेकिन अब ये जानकर उन्हें हैरानी है कि यही ज़मीन राम मंदिर ट्र्स्ट ने ढाई करोड़ में खरीदी है। महंत का कहना है कि इसबात से उन्हें कष्ट और दुख पहुचा है कि जिस जमीन को उन्होंने राम मंदिर के लिए दे दिया ,वो ज़मीन इतने महगे दाम में खरीदी गई है। उन्होंने इस पर भी सवाल खड़ा किया कि इस जमीन को दशरथ महल के महंत देवेन्द्र प्रसादाचार्य कैसे बेच सकते है,जबकि उनका इसपर कब्ज़ा ही नही है। हालांकि महंत देवेन्द्र प्रसादाचार्य के गुरु भी इस जमीन में कास्तकार थे। लेकिन फिर भी सवाल ये है कि ज़मीन कैसे बिक गई। उनकी मांग है कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और ये ज़मीन ट्र्स्ट को फ्री मिलनी चाहिए।