कोरोना महामारी के बीच एक नई आफत आ गई है। इन दिनों एक ऐसे वायरस का खतरा बढ़ गया है जिससे बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। ब्रिटेन के अस्पतालों में गंभीर श्वसन संक्रमण से पीड़ित बच्चों के मामले बढ़ रहे हैं। इसमें रेस्पिरेटरी सिनसिटियल वायरस यानी आरएसवी नाम के संक्रमण में बेमौसम वृद्धि शामिल है और यह वायरस दो माह के बच्चों में भी देखा गया। इससे श्वास की नली में सूजन (ब्रोंकियोलाइटिस) जैसे रोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है जो फेफड़ों की सूजन यानी ब्रोंकाइटिस के जैसा है।
आरएसवी एक आम श्वसन रोगाणु है और हम में से लगभग सभी दो साल की उम्र तक इससे संक्रमित होते हैं। ज्यादातर लोगों में इस बीमारी के हल्के लक्षण जुकाम, नाक बहना और खांसी होते हैं। ये लक्षण आमतौर पर एक या दो हफ्ते में बिना इलाज के ठीक हो जाते हैं। तकरीबन तीन में से एक बच्चे को आरएसवी के कारण ब्रोंकियोलाइटिस हो सकता है। इससे श्वास की नली में सूजन आ जाती है और मरीजों का तापमान बढ़ जाता है तथा उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। कभी-कभी यह बहुत गंभीर बीमारी बन जाती है। अगर किसी युवा व्यक्ति को सांस लेने में बहुत दिक्कत होने लगती है तो यह लक्षण गंभीर हो सकते हैं जिससे तापमान 38 सेल्सियस के पार जा सकता है, होंठ नीले पड़ सकते है तथा सांस लेना बहुत मुश्किल हो सकता है। बच्चों में इस बीमारी के कारण वह कुछ खाने से इनकार कर सकते हैं तथा उन्हें लंबे वक्त तक पेशाब नहीं आती। एक माह के बच्चों की श्वास नली बहुत छोटी होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है।
ज्यादातर मामलों को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन कई बार ब्रोंकियोलाइटिस जानलेवा हो जाता है। हर साल तकरीबन 35 लाख बच्चे अस्पताल में भर्ती होते हैं और इनमें से करीब पांच प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है। ऐसा लगता है कि कोविड-19 के कारण हाथ धोने, मास्क पहनने और लोगों के बीच आपसी संपर्क कम होने से 2020-21 की सर्दी में बहुत कम लोगों को फ्लू हुआ। आरएसवी के मामले में भी यह सही है। अध्ययनों के मुताबिक, पिछले वर्षों के मुकाबले उत्तरी गोलार्द्ध वाले देशों में ब्रोंकियोलाइटिस के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 83 प्रतिशत कम रही। अब इसके बिल्कुल विपरीत हो रहा है। हम यह नहीं जानते कि क्यों आरएसवी से संक्रमित कुछ बच्चों में हल्के लक्षण होते हैं तथा अन्य गंभीर रूप से बीमार पड़ जाते हैं। आरएसवी के गंभीर लक्षणों के संबंध में कई कारकों की पहचान की गयी है जिसमें उम्र (एक माह के शिशु को सबसे अधिक खतरा), लिंग (महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा खतरा), पर्यावरणीय परिस्थितियां जैसे धुएं के संपर्क में आना, फेफड़ों की बीमारी होना तथा कुछ जीन संबंधी तत्व शामिल हैं।
सभी संक्रमणों की तरह इस बीमारी से निपटने में भी एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी महत्वपूर्ण है। हम जानते हैं कि ह्यन्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीजह्ण गंभीर बीमारी से बचाती हैं। हालांकि, आरएसवी से रोग प्रतिरोधक शक्ति लंबे समय तक नहीं रहती इसलिए हमारे में से ज्यादातर लोग अपने जीवन में फिर से संक्रमित हो जाते हैं। यही वजह है कि कई प्रयासों के बावजूद अभी कोई टीका उपलब्ध नहीं है। इसके लिए कुछ टीके विकसित किए जा रहे हैं। कई टीकों का क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है जिससे यह उम्मीद मिलती है कि हम अपने बच्चों को आरएसवी से पैदा होने वाले ब्रोंकियोलाइटिस से बचा सकते हैं।
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