अजीत मेंदोला (New Delhi News) नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी अब संगठन को चुस्त करने में जुट गई है।राजस्थान और कुछ राज्यों में बदलाव किए जाने के बाद पार्टी का फोकस अब राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति और उत्तर प्रदेश में मचे घमासान किसी तरह से शांत कर वहां पर संगठन में कुछ बदलाव के संकेत हैं।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और योगी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक सभी नेता दिल्ली पहुंच गए हैं।ये दोनों उप मुख्यमंत्री सीएम योगी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं।जिसके चलते विपक्ष हमलावर बना हुआ है।आलाकमान टेंशन में है।ऐसा समझा जा रहा आज और कल यूपी को लेकर बैठकों का दौर चलेगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नेताओं की मुलाकात के संकेत हैं।
पार्टी का फोकस संगठन को चुस्त दुरस्त करने पर
पार्टी अब लड़ाई झगड़ों को लेकर खासी गंभीर है इसलिए संगठन पर अब पूरा फोकस है। बीती रात राजस्थान समेत कुछ प्रदेशों में बदलाव किए गए।राजस्थान में मदन राठौर को सीपी जोशी की जगह नया प्रदेश अध्यक्ष और अरुण सिंह की जगह राधा मोहन दास अग्रवाल को प्रभारी और विजया राहटकर को सह प्रभारी नियुक्त किया गया।इसी तरह बिहार में दिलीप जायसवाल को बिहार का अध्यक्ष बनाया गया।असम के प्रभार की जिम्मेदारी हरीश द्विवेदी ,चंडीगढ़ की अतुल गर्ग,लक्ष्यद्वीप और तमिलनाडु की अरविंद मेनन और त्रिपुरा की राजदीप राय को दी गई है।इन नियुक्तियों के बाद अब सब की नजरें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ उत्तर प्रदेश के संगठन में किए जाने वाले बदलावों पर लगी है।5 जुलाई को भी कई राज्यों के प्रभारी बदले गए थे।लेकिन यूपी और राजस्थान को नहीं छेड़ा गया था।
सूत्रों की माने तो पार्टी में लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,अध्यक्ष जे पी नड्डा और संगठन महासचिव बी एल संतोष के बीच बैठक हो चुकी है।इसके साथ महासचिवों के साथ भी बैठकों का दौर चला।इन बैठकों में कार्यकारी अध्यक्ष और प्रदेशों में लोकसभा चुनाव के परिणामों पर भी चर्चा हुई। अधिक संभावना यही है कि फिलहाल कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति अभी होगी फिर बाद में पूर्णकालिक अध्यक्ष का फैसला होगा।इस बीच शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी दिल्ली आ रहे हैं। योगी शनिवार को होने वाली नीति आयोग की बैठक में तो हिस्सा लेंगे ही लेकिन उससे पहले वह प्रधानमंत्री मोदी,राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा को मिल अपनी रिपोर्ट देंगे।उत्तर प्रदेश में चल रही तनातनी को लेकर आलाकमान खासा चिंतित भी है।ऐसा समझा जा रहा है योगी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक को भी दिल्ली तलब किया गया है।दरअसल उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव परिणाम उम्मीद के विपरीत आने के बाद से पार्टी में खींचतान शुरू हो गई। यूपी और राजस्थान ने पार्टी को तगड़ा झटका दिया।राजस्थान में भी आपसी खींचतान है,लेकिन यूपी के मुकाबले कम।आलाकमान फिलहाल यूपी और राजस्थान में मुख्यमंत्री नहीं बदलने जा रहा है ये तो साफ हो गया ,लेकिन संगठन को चुस्त दुरस्त करने पर अब उसका पूरा फोकस है।राजस्थान में संगठनात्मक बदलाव हो गया है अब बारी यूपी की है।
दरअसल पार्टी को लोकसभा चुनाव में झटका लगा है।इसके बाद विपक्ष हमलावर है ।पार्टी की अब यही कोशिश है कि जल्द नई टीमें गठित कर विपक्ष को घेरा जाए।राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा का कार्यकाल यूं तो 30 जून को समाप्त हो गया ,लेकिन नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने के चलते फिलहाल अभी वही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। नड्डा पीएम मोदी की टीम में स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं ऐसे में पार्टी पर दबाव भी है कि किसी नेता को अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए।हालांकि पार्टी की पहले रणनीति थी कि इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा और लोकसभा के चलते खाली हुई विधानसभा सीटों के उप चुनाव तक कोई बदलाव न किया जाए।खास तौर पर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में।लेकिन सवाल उठने के बाद पार्टी ने राजस्थान में प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष नए नियुक्त कर दिए।राजस्थान में पार्टी का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन खराब रहा था।सोशल इंजीनियरिंग के चलते भी पार्टी को राज्य को चुनाव में झटका लगा था।इसलिए अब किए जाने वाले बदलाव में पार्टी का पूरा फोकस सोशल इंजीनियरिंग पर है।
राजस्थान में ओबीसी के मदन राठौर को अध्यक्ष बनाया तो प्रभारी बनिया बिरादरी से।ऐसा समझा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में किए जाने वाले बदलावों का असर केंद्रीय संगठन पर भी पड़ेगा। यूपी में भूपेंद्र चौधरी की जगह ओबीसी या एसटी से ही किसी नए चेहरे को मौका दिया जा सकता है।उत्तर प्रदेश में सीएम योगी और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रही तनातनी ने आलाकमान की चिंता बढ़ाई हुई है।जो संकेत मिल रहे हैं मौर्य को दिल्ली लाया जा सकता है।उत्तर प्रदेश को लेकर पार्टी में जो भी बदलाव होगा उसकी घोषणा जल्द कर दी जाएगी।लेकिन इस बीच कार्यकारी अध्यक्ष का भी फैसला होगा।यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी विनोद तावड़े को मौका देती है या केशव प्रसाद मौर्य पर दांव खेल चौंका थी।या फिर प्रधानमंत्री मोदी एक दम कोई नया चेहरा सामने लाते हैं।
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