अजीत मेंदोला
(New Delhi News) नई दिल्ली। हरियाणा की हार के बाद कांग्रेस में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है।पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने चुनाव में इस बार अपने दौरे सीमित किए हुए।पार्टी की दूसरी सर्वोच्च नेता प्रियंका गांधी अपने चुनावी क्षेत्र वायनाड से बाहर नहीं निकल रही हैं।वह अपने भाई राहुल से ज्यादा ताकत वायनाड पर लगा रही हैं ।ऐसा लगता है कि वह जीत का नया रिकॉर्ड बनाना चाहती हैं ।राहुल पिछला चुनाव साढ़े चार लाख मतों से जीते थे।
28 अक्टूबर से उन्होंने वायनाड में चुनावी दौरे शुरू किए वह लगभग लगातार जारी
23 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने के बाद वह लगातार वायनाड को लेकर सक्रिय हैं हैं। वायनाड के चक्कर में प्रियंका ने झारखंड और महाराष्ट्र में अभी तक कोई चुनावी रैली नहीं की।जहां तक राहुल गांधी का सवाल है तो उन्होंने वायनाड में एक जनसभा की।झारखंड में अभी चुनावी रैलियां नहीं हुई।जबकि महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा के बाद बुधवार को पहली बार गए।झारखंड में पहले चरण की वोटिंग 13 नवंबर को होगी जबकि दूसरे चरण की वोटिंग महाराष्ट्र के साथ 20 नवंबर को होगी।मतलब मतदान का दिन दोनों राज्यों में करीब आता जा रहा है।पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी सीमित दौरे कर रहे हैं।
कांग्रेस का प्रचार इस बार बदला हुआ है, कांग्रेस के प्रचार में आक्रमकता नहीं
स्टार प्रचारकों की सूची में बड़े बड़े दिग्गज शामिल हैं,लेकिन कांग्रेस का प्रचार इस बार बदला हुआ है।कांग्रेस के प्रचार में आक्रमकता नहीं है।जानकार भी मान रहे हैं कि हरियाणा की हार के बाद कांग्रेस में अंदर खाने सब कुछ ठीक ठा
क नहीं है।राहुल गांधी हरियाणा की हार के बाद से खासे नाराज भी हैं।हरियाणा की हार के कारणों का पता लगाने के लिए कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के विधायक हरीश चौधरी को जिम्मेदारी दी हुई है।जो अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दे पाई।
जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार हरियाणा के नेता एक दूसरे पर हार की जिम्मेदारी डाल रहे हैं।हरियाणा की हार के चलते पार्टी महाराष्ट्र और झारखंड में लोकल नेताओं और गठबंधन के नेताओं पर ज्यादा भरोसा कर रही।राहुल दौरों को लेकर बहुत उत्साहित नहीं बताए जाते हैं।
प्रियंका गांधी वायनाड में प्रचार बंद होने के बाद शायद एक दो चुनावी जनसभाएं झारखंड ओर महाराष्ट्र में करें। दरअसल दोनों राज्यों को लेकर आ रही रिपोर्ट कांग्रेस के लिहाज से बहुत उत्साह जनक नहीं है।राहुल की नाराजगी इसलिए भी है कि टिकट वितरण में पार्टी अपने हिसाब सीट नहीं ले पाई।और महाराष्ट्र में तो कुछ जिताऊ सीट गठबंधन के हिस्से में देनी पड़ी। इसलिए पार्टी दोनों राज्यों में अपने दिग्गज नेताओं के ज्यादा दौरे नहीं करा रही है।
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