New Delhi News : महाराष्ट्र-झारखंड-विधानसभा चुनाव और उपचुनावों में इंडी ब्रेकडांस

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Indie breakdance in Maharashtra-Jharkhand assembly elections and by-elections
Rakesh Sharma
Rakesh Sharma

(New Delhi News) राकेश शर्मा। आजकल महाराष्ट्र – झारखंड विधान सभा चुनावों और कई राज्यों में नवंबर में होने वाले चुनावों में टिकट बँटवारे को लेकर इंडी गठबंधन में चल रही ज़बर्दस्त खींचतान को देखते हुए अनायास ही साठ के दशक के अंत और सत्तर के दशक के शुरुआत में न्यूयॉर्क में प्रारंभ हुई ब्रेक डांस परंपरा की अनायास ही याद आ गई। इसमें डांसर एक शरीर में होते हुए शरीर के अंग प्रत्यंगों को अलग अलग दिशाओं में छितरा देता है और डांस समाप्त होने पर फिर सीधा खड़ा हो जाता है।

आजकल इण्डी गठबंधन का यही हाल है चुनाव की घोषणा के बाद से ही इनका ब्रेक डांस प्रारंभ हो जाता है और चुनाव समाप्ति के बाद ही समाप्त होता है।

इसके मूल का विश्लेषण करें तो महसूस होता है की मोदी और भाजपा को हराने के संकल्प की कई माँ बाप की कोख से जन्मे शिखंडी इण्डी गठबंधन में विचारेक्तमता कभी रही ही नहीं, इसलिए सत्ता के शिखर पर बैठने की अति महत्वाकांक्षा पाले सभी खंडित, विखंडित, अर्धविक्षिप्त इंडी गठबंधन दलों के सदस्य चुनाव के समय भाजपा से लड़ने से पहले चुनावी कुरुक्षेत्र में स्वयं महाभारत करते नज़र आते है और चुनावी कुरुक्षेत्र का रण प्रारंभ होने से पहले ही हाँफते हाँफते मैदान में पहुँचते हैं और पाण्डवों की (भाजपा) सेना से हारकर हताश , निराश और परेशान होकर फिर एकत्र होते है, फिर वही रटी रटाई ईवीएम और चुनाव आयोग को दोष देते हुए पुनः चुनावी मैदान में जाने का संकल्प लेते है लेकिन उसके उदर में हर बार स्वार्थ और निजी महत्वाकांक्षा का बीजारोपण ही करते हैं।

अभी घोषित हुए चुनावों और पिछले एक वर्ष में इंडी गठबंधन के जन्म के उपरांत चुनावी नतीजों का विश्लेषण करने से तो यही निष्कर्ष निकलता है।

महाराष्ट्र में कांग्रेस के नाना पटोले और शिवसेना (उद्धव) के संजय राउत के बीच में टिकटों के लिए जो वाक्युद्ध चल रहा है वह क्या दर्शा रहा है, समाजवादी पार्टी के अबू आज़मी और अखिलेश ने अपनी बारह टिकटों की ताल ठोक दी है लेकिन उनसे कोई बात ही नहीं कर रहा। उधर भाजपा ने अपने 99 प्रत्याशियों की लिस्ट भी जारी कर दी है।

झारखंड में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा नए बिना राष्ट्रीय जनता दल से बात किए 70 सीटों पर अपनी सहमती बना ली। इस पर राजद बिखर गया है और कह रहा है 20 सीट हमारे प्रभाव के इलाक़े में हैं जहां हम लड़ना चाहते हैं। झारखंड में कुल 81 सीटें है , सत्तर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने सहमति कर ली है और केवल ग्यारह राजद और कम्युनिस्टों के लिए छोड़ी है और इसी बात पर इंडी में आपस में सिर फुटव्ल चल रही है, कैसे सुलझेगी किसी को नहीं पता।

मध्य प्रदेश बुधनी उपचुनाव में भाजपा के सामने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।

उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर उपचुनाव है । समाजवादियों ने बिना कांग्रेस से बात किए छः सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये और बाक़ी बची तीन सीटों में से दो मुश्किल सीटों पर कांग्रेस को लड़ने को कह रहे हैं। कांग्रेस कैकेयी के कोप भवन में जाकर समाजवादियों से कह रही है की सभी सीटों पर ख़ुद लड़ लो हम दर्शक दीर्घा से तालियाँ बजायेंगे।

उधर वायनाड में कांग्रेस के सामने कम्युनिस्ट लड़ रहे हैं और प्रियंका का मुक़ाबला त्रिकोणीय बना दिया है ।

हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने आप को घांस नहीं डाली , आप की हर जगह जमानत ज़ब्त हो गई और कांग्रेस भी हार गई।

ग़ुस्से में आप ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात कह दी है। याद रहे दिल्ली में कांग्रेस और आप ने मिलकर चुनाव लड़ा था और पंजाब में अलग अलग। वाह क्या ज़बरदस्त गठबंधन है।

इंडी गठबंधन के जन्म के बाद हुए आम चुनाव, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, राजस्थान , हरियाणा , आंध्र प्रदेश और कई छोटे राज्यों के चुनाव परिणाम कुछ तेलंगाना जैसे अपवादों को छोड़कर इंडी गठबंधन या ठगबंधन की पोल खोल रहे हैं।

चुनावी बिगुल बजने के बाद कुरुक्षेत्र के मैदान में जब एक पक्ष आपस में ही लड़ रहा तो सकारात्मक नतीजे की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। यह समय इंडी वालों को गहन आत्मवलोकन करने का है वरना 23 नवंबर को टीवी चैनलों पर इंडी वालों की वही जानी पहचानी पुरानी रुदाली सुनने की जनता को आदत हो ही गई है।

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